हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में पूर्णिमा पड़ती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस समय सावन मास चल रहा है। सावन मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी। सावन मास की पूर्णिमा सावन का अंतिम दिन भी होता है। इसी दिन रक्षाबंधन का पावन त्योहार भी मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
सावन पूर्णिमा व्रत कब रखें
पूर्णिमा का व्रत एक दिन पहले 8 अगस्त को रखा जाएगा। पूर्णिमा व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रोदय के समय पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को व्यापत रहेगी, जिस वजह से सावन पूर्णिमा का व्रत 8 अगस्त को ही किया जाएगा। 8 और 9 अगस्त को श्रवण नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा महापुण्यदायिनी मानी जा रही है।
रक्षाबंधन 9 अगस्त को
भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व इस बार विशेष ज्योतिषीय योगों के साथ 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा जैसी कोई अशुभ घड़ी नहीं होगी, जिससे बहनें दिनभर राखी बांध सकेंगी। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्धि, सौभाग्य और शोभन योग जैसे अत्यंत शुभ संयोग बनने से यह पर्व अत्यंत फलदायक और मंगलकारी होगा। पूर्णिमा का प्रभाव 9 अगस्त को दोपहर 1:47 बजे तक रहेगा, इसलिए इस अवधि तक राखी बांधना विशेष लाभकारी रहेगा।
चन्द्रोदय- 06:42 पी एम
सावन पूर्णिमा की पूजाविधि :
- सुबह जल्दी उठें।
- स्नानादि के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करें।
- अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।
- भगवान शंकर और माता पार्वती की भी विधि-विधान से पूजा करें।
- भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
- चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।