भिलाई। नवीन अपराधिक कानूनों पर आधारित संवेदीकरण के अन्तर्गत नर्स व पैरामेडिक्स कर्मचारियों के लिए कार्यशाला का आयोजन कला मंदिर सिविक सेंटर सेक्टर-6 भिलाई में किया गया। कार्यशाला में विशेष रूप से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल, पंकज ताम्रकार वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल भिलाई, अनुरेखा सिंह जिला अभियोजन अधिकारी जिला दुर्ग एवं अशोक जोशी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (सेवानिवृत ) उपस्थित थे।
इस मौके पर एसएसपी दुर्ग विजय अग्रवाल ने कहा कि नवीन भारतीय न्याय संहिता आम जनता को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है, जिससे आम जनता को न्याय मिलने में विलंब न हो, पुलिस एवं न्यायालय के लिए समय निर्धारित किया गया है, महिलाओं से संबंधित अपराधों में दण्ड का प्रावधान करते हुए महिलाओं से संबंधित अपराधों को कठोर बनाया गया है, धारा-4 भारतीय न्याय संहिता में सामुदायिक सेवा, न्याय-व्यवस्था का दंड से न्याय की ओर बढ़ता कदम है।

तलाशी के दौरान फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी अनिवार्य
एसएसपी अग्रवाल ने बताया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत आपकी, आपके घर की या आपके व्यवसायिक स्थान या अन्य जगह की तलाशी लेगें, तो उसकी कंपलसरी फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की जायेगी। वह न्यायालय में मान्य होगा, इस प्रकार न्यायालय में प्रकरण में विंलब नहीं होगा और जल्द से जल्द आरोपी को सजा भी हो जायेगी। भौतिक साक्ष्यों का संकलन, नये कानून मे क्या प्रावधान किये गए हैं, 7 वर्ष या 7 वर्ष से अधिक की सजा वाले अपराध में फॉरेंसिक टीम का घटना स्थल पर पहुंचना आवश्यक किया गया है। इसके संबंध में विस्तारपूर्वक बताया गया।

नए कानून को लागू हुए हो गए एक वर्ष
एफएसएल भिलाई वरिष्ठ वैज्ञानिक तकनीकी अधिकारी पंकज ताम्रकार ने बताया कि नवीन भारतीय न्याय संहिता 01 जुलाई 2024 को लागू किया गया था। जिसे 1 वर्ष पूर्ण हो चुका है। ई कोर्ट, ई फारेंसिक, ई जस्टिस सिस्टम को सपोर्ट कर सके, वैज्ञानिक साक्ष्यों का संकलन किस प्रकार से करना है, वैज्ञानिक साक्ष्यों को परीक्षण के लिए पहुचाने तक चैन ऑफ कस्टडी का ध्यान रखना होता है। इस प्रोसेस में चिकित्सा का महत्वपूर्ण योगदान है, सैम्पल इस प्रकार से कलेक्ट करना है जिससे वो जिस रूप में लिए गए है उसी रूप मे परीक्षण के लिए पहुंचे इसके लिए पैकिंग एवं टाइम का बहुत महत्व है। रासायनिक परीक्षण कराने के लिए सेंचुरेटेड कर टीशु को प्रिजर्व करने, क्रांईम सीन, ई-एविडेंस फोटोग्राफी कर ऑन द स्पॉट एवं ऑनलाईन डालना, स्नेक बाईट के प्रकरण में ड्राय साल्ट में प्रिजर्व करना एवं नये कानून में डिजिटल साक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है, बताया गया।
चिकित्सकीय परीक्षण की दी गई जानकारी
जिला अभियोजन अधिकारी अनुरेखा सिंह ने बताया कि 184- ब्लात्संग के पीड़ित के चिकित्सीय परीक्षण कैसा करना है। 12 वर्ष से कम आयु के विधिपूर्ण बालिका की स्थिति में माता-पिता या संरक्षक की अनुमति लिया जाना आवश्यक हैं। 24 घंटे के अंदर चिकित्सीय परीक्षण किया जाना आवश्यक है, डॉक्टर को 07 दिन के अंदर अपना रिपोर्ट पुलिस को अनिवार्य रूप से देना है। 151 में अभियुक्त की परीक्षण के लिए भेजना एवं डॉक्टर को चोट के संबंध में स्पष्ट अभिमत देना चाहिए एवं क्वेरी की भी स्पष्ट अभिमत देने के संबंध में विस्तार से बताया गया। उक्त कार्यक्रम में सुखनंदन राठौर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) दुर्ग, चन्द्र प्रकाश तिवारी उप पुलिस अधीक्षक (लाईन) दुर्ग एवं नीलकंठ वर्मा रक्षित निरीक्षक दुर्ग एवं समस्त अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
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