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बीजापुर में 13 कुख्यात हार्डकोर नक्सलियों ने किया सरेंडर, सीएम साय बोले- बंदूक नहीं विकास ही भविष्य का सही विकल्प

सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 23 लाख का इनामी सहित 8 लाख इनामी महिला नक्सली भी शामिल

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। शुक्रवार को पश्चिम बस्तर डिवीजन के विभिन्न माओवादी संगठनों से जुड़े 13 सक्रिय सदस्यों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में 23 लाख रुपये के इनामी माओवादी शामिल हैं, जिनमें कंपनी नंबर-2 की महिला पार्टी सदस्य, एसीएम, केएएमएस अध्यक्ष, पीएलजीए, एलओएस और मिलिशिया प्लाटून के सदस्य हैं। इस सफलता पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बंदूक की राह नहीं विकास ही भविष्य का सही विकल्प है।

मिली जानकारी के अनुसार बीजापुर जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही व्यापक मुहिम को आज एक बड़ी सफलता मिली। जिले में सक्रिय 23 लाख रुपए के इनामी 13 कुख्यात हार्डकोर नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में से दस पर 1 लाख से 8 लाख तक के इनाम घोषित थे। आत्मसमर्पण करने वालों में कई ऐसे माओवादी हैं जो वर्ष 2000 से संगठन में सक्रिय थे। इनमें देवे मुचाकी उर्फ प्रमिला (8 लाख रुपये का इनाम), कोसा ओयाम उर्फ राजेन्द्र (5 लाख रुपये का इनाम) और अन्य सदस्य शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2025 से अब तक 270 माओवादी गिरफ्तार हुए, 241 ने आत्मसमर्पण किया और 126 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि बस्तर क्षेत्र नक्सलमुक्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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सीएम साय बोले- हमारी नीति प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कि यह महत्वपूर्ण आत्मसमर्पण राज्य सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है, जिसके माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास का वातावरण और बदलाव की सकारात्मक लहर सृजित हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि अब नक्सली भी यह समझने लगे हैं कि बंदूक की राह नहीं, बल्कि विकास की राह ही भविष्य का सही विकल्प है। सरकार इन सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास, कौशल उन्नयन एवं पुनरुत्थान के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में  मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश से नक्सलवाद के समूल उन्मूलन के लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार पूर्णतः संकल्पबद्ध  है।

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नियद नेल्ला नार योजना बनी बदलाव की धुरी
छत्तीसगढ़ शासन की नियद नेल्ला नार योजना ने आत्मसमर्पण की प्रक्रिया को गति दी है। इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक पुनर्स्थापना की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इससे नक्सल हिंसा से प्रभावित ग्रामीणों को राहत मिली है और माओवादी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। बीजापुर में चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान में डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु के संयुक्त प्रयासों से यह सफलता हासिल हुई। अभियान का नेतृत्व पुलिस उप महानिरीक्षक बीएस नेगी, पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया।

माओवादी संगठन को बड़ी चोट
पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में कई सीनियर नक्सली शामिल हैं। इनके आत्मसमपर्ण करने से नक्सली संगठन को बड़ी चोट पहुंची है। बीजापुर एसपी डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा है कि माओवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करने और शासन की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा, रोजगार और सम्मानजनक जीवन का अवसर प्राप्त होता है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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