मेहसाणा: गुजरात के मेहसाणा जिले के दावड़ा गांव के प्रगतिशील किसान हसमुखभाई पटेल पिछले आठ साल से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने ढाई बीघा जमीन पर ताइवान पिंक अमरूद की खेती शुरू की है. पहले साल में ही 800 किलो अमरूद का उत्पादन हुआ, जिसमें से 300 किलो बेच चुके हैं और 500 किलो बेचने की उम्मीद है. बता दें कि 49 वर्षीय हसमुखभाई पटेल ने 12वीं तक पढ़ाई की है और 2016 से खेती कर रहे हैं. उनके पास 11 बीघा जमीन है, जिसे वे प्राकृतिक खेती के जरिये बिना किसी लागत के फायदे में बदल रहे हैं. वे अपनी 3 गायों से बने घनजीवामृत और जीवामृत का उपयोग करते हैं. साथ ही, स्प्रिंकलर पद्धति से सिंचाई करते हैं, जिससे पानी की बचत होती है. हसमुखभाई ने सब्जियों की खेती भी शुरू की है और पिछले 3 सालों से बाहर से कोई सब्जी नहीं खरीदी.
हसमुखभाई ने बताया कि ढाई साल पहले हमने ताइवान पिंक अमरूद के 750 पौधे लगाए थे. अब ढाई साल के भीतर ही उत्पादन शुरू हो गया है. पहले साल में 800 किलो उत्पादन की उम्मीद है. अब तक 300 किलो फल बेच चुके हैं. हम यह फल खुद खुदरा बेचते हैं, लोग हमारे पास आकर इसे घर ले जाते हैं.
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
हसमुखभाई ने बताया कि प्राकृतिक खेती में किसी भी प्रकार के खाद या दवाइयों की जरूरत नहीं होती जिससे लागत बेहद कम हो जाती है. ड्रिप इरिगेशन सिस्टम* का उपयोग कर पूरे साल की सिंचाई का खर्च 6,000 रुपये आता है. प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले डेड और सॉलिड वेस्ट का खर्च 2,000 रुपये से अधिक नहीं होता. कुल 8,000 रुपये की लागत में इस साल मैंने 40,000 रुपये का उत्पादन किया है.”सब्जियों से अतिरिक्त आय
हसमुखभाई ने ये भी बताया कि अमरूद के साथ-साथ उन्होंने ब्रोकली, फूलगोभी, टमाटर, लहसुन, हरा प्याज, धनिया, बैंगन और ढाई बीघा आलू भी लगाए हैं, जिससे अतिरिक्त आय होती है.अमरूद की खासियत और भविष्य की योजना
हसमुखभाई ने कहा कि अगले साल 700 पौधों से 1 से 2 टन अमरूद का उत्पादन होगा. इसका मतलब एक लाख से डेढ़ लाख रुपये की कमाई होने की संभावना है. ताइवान पिंक अमरूद की खासियत यह है कि इसे तोड़ने के बाद भी यह एक हफ्ते तक खराब नहीं होता. इस वजह से इसे आसानी से दूसरे शहरों में भेजा जा सकता है.”