छत्तीसगढ़

हड़ताल की पड़ताल : सत्याग्रह के नाम पर यह कैसा मजाक ! क्या शिक्षकों को कमजोर करने और समस्या बनाए रखने की हो रही है साजिश ?

प्रदेश में शिक्षाकर्मी एकमात्र ऐसा संवर्ग है जिसने अनियमित से लेकर नियमित तक की राह तय की है लेकिन एक धड़ा शिक्षाकर्मियों के बीच में से हमेशा ऐसा रहा है जो यह चाहता है की समस्या बनी रहे ताकि उसकी दुकानदारी संगठन और चंदाखोरी के नाम पर चलती रहे । यही वजह है कि शिक्षकों में जब भी एकजुटता की बात आती है तो एक दो नेता कभी तैयार नहीं होते , बताते हैं कि इसके पीछे की असली वजह उनके संगठन की चंदे की कमाई है जिसके आड़ में कई और गोरखधंधे भी किए जाते हैं । ऐसे ही कुछ लोगों ने शिक्षक मोर्चा के नाम पर खूब उछल-उछलकर यह दावा किया की रायपुर राजधानी में 2 लाख की भीड़ जुटेगी की पर हालात यह थी कि महज 2000 की भीड़ भी नहीं जुटी जबकि एक संगठन के ढांचे की बात करें तो जिला और प्रांतीय पदाधिकारी मिलकर कम से कम एक जिले में एक संगठन के 70 पदाधिकारी होते हैं ऐसे में चार संगठन के 280 लोग तो केवल एक जिले में पदाधिकारी होने चाहिए और यदि केवल 30 जिले भी ले लिए जाए तो 8400 तो केवल पदाधिकारी शामिल होने चाहिए थे । हड़ताल में शामिल भीड़ की फोटो और वीडियो चारों संगठन की दुर्दशा बताने के लिए काफी है । हालांकि दो संगठनों का तो पहले से ही हाल बुरा है और कई जिले में तो उनके एक भी पदाधिकारी नहीं है , एक संगठन जो पिछली सरकार में लगातार अपने दम पर हड़ताल कर रहा था वह भी इस बार बेदम नजर आया और खुद को मातृ संगठन बताने वाला एक संगठन अब अपनी जीवन के अंतिम सांसे गिर रहा है । हड़ताल का प्रभाव कैसा रहा इसको इस बात से समझ लीजिए कि जिले में भी जब कोई आंदोलन होता है तो एसडीएम लेवल के अधिकारी ज्ञापन लेने आते हैं लेकिन यहां सरकार की तरफ से तहसीलदार पहुंचे थे तो इसे ही समझा जा सकता है कि शासन प्रशासन की नजर में आज आंदोलन की क्या अहमियत थी ।

आम शिक्षकों का सबसे अधिक होता है नुकसान

दरअसल ऐसे आंदोलन से सबसे अधिक नुकसान आम शिक्षकों का होता है क्योंकि शासन प्रशासन ऐसे आंदोलन के कारण शिक्षकों की अहमियत को और काम आंकने नहीं लगते हैं और ऐसे ही आंदोलन के बाद अधिकारी और नेता स्पष्ट तौर पर कहने लगते हैं की जाओ हड़ताल ही कर लो । दरअसल बंद मुट्ठी लाख की और खुल गई तो खाक की वाले तर्ज पर कर्मचारी संगठन समय-समय पर शासन प्रशासन को अपनी ताकत दिखाते हैं और इसके लिए रणनीति सबसे महत्वपूर्ण होती है । छुट्टी के दिन तुता में हड़ताल रखने वाले नेताओं के समझ को देखकर किसी को भी हंसी आ जाएगी कि आखिर ऐसे आंदोलन का औचित्य क्या है और खुद की जगहसाई करके आखिर मिला क्या । सवाल गंभीर है और शिक्षकों के सोचने का विषय है कि इस आंदोलन से उन्हें लाभ हुआ या नुकसान ।

वाह रे हड़ताल

बंद मुट्ठी लाख की,खुल गई तो खाक की
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जरा गौर करें :-

1. छ.ग.में कुल 33 जिले
2. मोर्चा में शामिल 4 बड़े संगठन
3. एक संगठन का एक जिले में कम से कम 15 जिला पदाधिकारी तो … 15×33= 495 जिलापदाधिकारी एक संगठन के
4. तो 4 संगठन के 495×4=1980 जिला पदाधिकारी

अब जरा इसे समझिए ..

1.छ ग में कुल 146 विकासखण्ड
2. एक संगठन के एक ब्लॉक में कुल 10 ब्लॉक पदाधिकारी
3. तो 146 ब्लॉक में में एक संघ के …146×10= 1460 ब्लॉक पदाधिकारी
4. तो 4 संघ के – 1460×4= 5840 ब्लॉक पदाधिकारी
5. 4 संघ के कुल जिला व ब्लॉक पदाधिकारी
1980+5840=7820

प्रांतीय पदाधिकारी को छोड़ देते है।~
चारो संगठनों के कुछ जिलों और ब्लॉक में संघठन नही है तो 7820 पदाधिकारियों का आधा कर देते है= 3910 जिला ब्लॉक पदाधिकारी।

अब आज के आंदोलन की संख्या बताइए और यह सफल रहा कि महासफ़ल ……..

Manoj Mishra

Editor in Chief

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