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हाईकोर्ट में खारिज हुई रामलला दर्शन योजना को चुनौती देने वाली याचिका, जानिए क्या था सरकार का पक्ष

बिलासपुर। अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा श्रीराम लला दर्शन योजना की शुरुआत की गई। इस योजना के तहत सरकार छत्तीसगढ़ के लोगों को श्रीराम लला के नि:शुल्क दर्शन करा रही है। हाल ही में इस योजना को बंद करने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। बुधवार को हाईकोर्ट ने उक्त याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पेश की दलील के बाद याचिका खारिज की गई।

दरअसल हाईकोर्ट में बिलासपुर के देवरीखुर्द निवासी लखन सुबोध ने यह याचिका दायर की थी। उन्होंने इसे संविधान में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ बताया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है। रामलला दर्शन योजना संविधान में निहित बातों और शर्तों के विपरीत है। याचिकाकर्ता ने धर्म निरपेक्षता पर तर्क देते हुए योजना को बंद करने के लिए राज्य शासन को आदेशित करने का हाईकोर्ट से आग्रह किया था।

सरकार ने कहा योजना धर्मनिरपेक्ष नहीं पूरे प्रदेश के लिए
याचिका दायर होने के बाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार ने जवाब मांगा था। सरकार की ओर से एडिशनल एजी यशवंत सिंह ठाकुर ने दलील पेश की। उन्होंने बताया कि रामलला दर्शन प्रदेश के सभी वर्गों के लिए है यह किसी एक धर्म को मानने वाले के लिए नहीं है। श्रीराम लला के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ का निवासी चाहे वह किसी भी धर्म का हो जा सकता है। हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से पेश किए गए दलील को माना और लखन सुबोध की याचिका को खारिज कर दी।

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