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ज्येष्ठ अमावस्या पर नाराज पितरों को नहीं मनाए तो क्या होगा? जान लें उसके 5 परिणाम, 4 उपाय आएंगे काम

ज्येष्ठ अमावस्या का पावन पर्व 6 जून को है. उस दिन नाराज पितरों को मनाने का काम किया जाता है. कहते हैं कि पितर नाराज होते हैं तो पितृ दोष लगता है. इससे कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इस वजह से ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान के बाद पितरों की पूजा करने और उनके लिए दान करने का विधान है. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून को सायं 07:54 बजे से लेकी 6 जून को सायं 06:07 बजे तक है. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों को मनाना क्यों जरूरी है? ज्येष्ठ अमावस्या पर नाराज पितरों को नहीं मनाए तो क्या होगा? इस बारे में बता रहे हैं तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव. इनसे जानते हैं पितरों को खुश करने के उपायों के बारे में.ज्योतिषाचार्य डॉ. भार्गव का कहना है कि धार्मिक मतों के अनुसार अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं और वे अपने वंश से यह उम्मीद करते हैं कि वे उनको तृप्त करें. उनको प्रसन्न करें. यदि ऐसा नहीं होता है तो वे दुखी और नाराज होते हैं. इससे पितृ दोष लगता है. पितरों के नाराज होने से कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

पितर नाराज होकर श्राप देते हैं कि उनके वंश को संतान सुख प्राप्त न हो. इसका अर्थ है कि पितृ दोष के कारण भी व्यक्ति संतानहीन या पुत्रहीन हो सकता है. माना जाता है कि पितर के वंश उनको तृप्त नहीं करते हैं, इसलिए वे संतानहीन होने का श्राप देते हैं ताकि जब वे पितर हों तो वे भी अतृप्त रहें. ऐसे वंश को संतान की क्या आवश्यकता.

2. पितरों के नाराज होने के कारण घर में हमेशा कलह-क्लेश रहता है. परिवार में अशांति का माहौल होता है. परिजन एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं.

पितृ दोष के कारण घर-परिवार की उन्नति में बाधा आती है. काम में रुकावटें पैदा होती हैं. बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं.

4. पितरों की नाराजगी के परिवार के सदस्यों को कई प्रकार के शारीरिक कष्ट भोगने पड़ सकते हैं. कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहेगा.

5. पितृ दोष के कारण बिजनेस और नौकरी में तरक्की की संभावनाएं क्षीण सी हो जाती हैं. बिजनेस आगे नहीं बढ़ पाता है, उसमें भी कई तरह की अड़चनें आ सकती हैं.

ज्येष्ठ अमावस्या पर नाराज पितरों को मनाने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आप सुबह में स्नान करने के बाद सफेद वस्त्र पहनें. फिर जल से पितरों को तर्पण दें. तर्पण में जल, काला तिल, सफेद फूल और कुशा का उपयोग करना चाहिए. कहा जाता है कि पितृ लोक में जल की कमी होती है. जब जल से तर्पण देते हैं तो पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं.

2. अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए आप पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म आदि कर सकते हैं. जो लोग अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करते हैं, उनको वे परेशान करते हैं.

3. ज्येष्ठ अमावस्या के अवसर पर पितरों के लिए सफेद वस्त्र, फल, अन्न आदि का दान किसी गरीब ब्राह्मण को करें.

4. पितृ दोष से मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है. इसे आप ज्येष्ठ अमावस्या के दिन विधि विधान से करा सकते हैं.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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