नई दिल्ली. एयर कंडीशनर की जब बात की जाती है तो उसके साथ टन जरूर यूज किया जाता है. आमतौर पर घरों में एसी 1, 1.5 या 2 टन के एसी लगाए जाते हैं. लेकिन एसी में टन होता क्या है. इस सवाल का जवाब बहुत कम ही लोग दे पाते हैं. कई लोगों को लगता है कि इससे एसी में मौजूद गैस को मापा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. एयर कंडीशनर के संबंध में टन का मतलब उसके द्वारा एक कमरे से बाहर फेंकी जा सकने वाली गर्मी होती है. कोई एसी एक घंटे में किसी कमरे से कितनी गर्मी निकाल सकता है यह टन से पता चलता है.12000 बीटीयू को 1 टन का कहा जाता है. बीटीयू का मतलब ब्रिटिश थर्मल यूनिट है. यह एसी की ठंडा करने की क्षमता को मापने की इकाई है. 1 टन का एसी 12000 बीटीयू का होता है. 1.5 टन का एसी 18000 बीटीयू का होता है. वहीं, 2 टन का एसी 24000 बीटीयू का होता है. अगर कमरा छोटा हो तो एक टन का एसी पर्याप्त होता है. इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, 150 वर्ग फीट तक के कमरे में 1 टन का एसी ठीक काम कर सकता है. 200 वर्ग फीट के कमरे के लिए 1.5 टन तक का एसी ठीक होता है.कौन से कारक करते हैं ठंडक को प्रभावित
एसी जितने अधिक टन का होगा कमरा उतना ज्यादा ठंडा होगा. हालांकि, कमरे का आकार, इन्सुलेशन, छत की ऊंचाई और खिड़की का आकार ऐसे कारक हैं जो एसी की कूलिंग कैपेसिटी पर असर डाल सकते हैं. आप किसी पेशेवर से एसी के सही टन के लिए राय ले सकते हैं.एसी कैसे करता है काम?
एसी कमरे की गर्म हवा को पहले अंदर खींचता है. इसके बाद कूलिंग कॉयल्स रेफ्रीजरेंट का इस्तेमाल करते हुए हीट और ह्यूमिडिटी को हटाते हैं. एसी में लगा ब्लोअर इवेपोरेटर के ऊपर हवा को घुमाता ताकि वह ठंडी हो जाए. अब गर्म कॉयल एकत्रित हीट को बाहर की हवा में मिलाता है. फिर कंप्रेसर इनडोर एयर को ठंडा करने के लिए इवेपोरेटर और कंडेनसर के बीच चलता है. इसके बाद एक पंखा कंडेंसर के ऊपर चलता है ताकि धीरे-धीरे हीट खत्म हो जाए. इसके बाद फिल्टर हवा में छोटे-छोटे कणों को हटाते हैं. अंत में थर्मोस्टेट यह देखता है कि कितनी ठंडी हवा बाहर फेंकनी है.

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