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कोंडागाव में 5 साल पहले लगाया गया पेड़, अब भरपूर हो रही पैदावार

कोंडागांव जिले में दक्षिण वन मंडल कार्यालय के गार्डन में पांच साल पहले लगाए गए अंजीर के पेड़ में आज भरपूर फसल की पैदावार हो रही है। बस्तर का जलवायु अंजीर के फल के साथ ही चीकू, लीची, ड्रेगन फ्रूट के लिए भी अनुकूल है। अंजीर के पेड़ लगाकर भरपूर आमदनी कमा सकते है। मार्केट में इसकी कीमत 700 से 800 रुपए किलो है

सहायक उद्यान अधिकारी लोकेश्वर प्रसाद का कहना है कि कोंडागांव जिले के जलवायु मे भिन्नता अधिक होने के कारण किसान मौसमी फल जैसै अंजीर, लीची, चीकू, बनारसी एप्पल बेर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, केला, पपीता, सीताफल, मौसंबी फल की खेती कर सकते हैं। इसके लिए उद्यान विभाग में संचालित योजना का लाभ लेते हुए किसान विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में खेती कर सकते हैं।

2 से 3 साल में फल देना शुरू करता है अंजीर का नया पेड़

सहायक उद्यान अधिकारी ने बताया कि अंजीर के लिए बस्तर की जलवायु बहुत अच्छी है। कम जगह में इसके पेड़ लगा कर अच्छी आमदनी ले सकते हैं। लोगों को यहां लीची की भी अच्छी संभावना हैं।अंजीर का एक नया पेड़ तकरीबन 2 से 3 साल में फल देना शुरू कर देता है। अंजीर का फल मई से लेकर अगस्त तक पककर तैयार होते हैं।

उत्तरी भारत में इन जगहों पर होती है खेती

बता दें कि अंजीर का वृक्ष छोटा और पर्णपाती (पतझड़ी) प्रकृति का होता है। तुर्किस्तान और उत्तरी भारत के बीच का भूखंड इसका उत्पत्ति स्थान माना जाता है। भारत में अंजीर की व्यावसायिक खेती ज्यादातर महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश (लखनऊ और सहारनपुर), कर्नाटक (बेल्लारी, चित्रदुर्ग और श्रीरंगपटना) और तमिलनाडु तथा कोयम्बटूर के पश्चिमी हिस्सों तक ही सीमित है।

भूमध्यसागरीय तट वाले देश और वहां की जलवायु में यह अच्छा फलता-फूलता है। यह आदिकाल के वृक्षों में से एक है और प्राचीन समय के लोग भी इसे खूब पसंद करते थे।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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