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Gustakhi Maaf: पहली बार सरकार भी सही और दुकानदार भी

-दीपक रंजन दास
ऐसा बहुत कम होता है कि एक मामले के दोनों पक्ष सच बोल रहे हों। पर कम से कम इस बार तो ऐसा ही हुआ है। सरकार ने कहा कि एपीएल कार्डधारक राशन दुकानों से चावल लेकर नहीं जाते, इसलिए उनका कोटा कम कर दिया गया। वहीं दुकानदार कहते हैं कि एपीएल कार्डधारकों का कोटा कम हो जाने के कारण कार्डधारकों को बीपीएल कोटे से चावल दिया जा रहा है। दोनों ही सही हैं। सरकार इसलिए सही है कि एपीएल कार्डधारक राशन दुकानों से चावल लेकर वाकई नहीं जाते। वहीं, दुकानदार इसलिए सही है कि एपीएल कार्डधारक अपने हिस्से का चावल मांगने के लिए दुकान तक आते जरूर हैं। यह और बात है कि वे कार्ड में एंट्री कराते हैं, अंगूठा भी लगवाते हैं पर चावल की बजाय पैसा लेकर जाते हैं। दरअसल, इस मामले का खुलासा किया खाद्य विभाग ने। जब उसने राशन दुकानों की समीक्षा की तो यह बात सामने आई कि चावल कोटे का ऑनलाइन स्टॉक माइनस में दिख रहा है। यानी जितना स्टॉक मिला नहीं उससे ज्यादा बांट दिया गया। रायपुर जिले की बात करें तो एक ही दिन में 22 राशन दुकानदारों को नोटिस जारी कर दिया गया। इसका जवाब एक सप्ताह में देने के निर्देश दिये गये हैं। दुकानदारों ने खाद्य विभाग के अफसरों को जो जवाब दिया है वह भी बढिय़ा है। दुकानदारों ने कहा कि एपीएल कोटे के चावल में भारी कटौती की गई है। पहले प्रति दुकान 50 क्विंटल चावल एपीएल कोटे के लिए मिलता था, उसे अब 15 क्विंटल कर दिया गया है। इसलिए जब लोग चावल लेने आए तो उन्हें बीपीएल कोटे का चावल देना पड़ा। रायपुर जिले में 6 लाख से अधिक राशन कार्ड हैं। इन्हें 228 दुकानों से राशन दिया जाता है। राशन दुकानों से पांच अलग-अलग श्रेणियों को राशन की आपूर्ति की जाती है। इनमें अंत्योदय, निराश्रित, प्राथमिकता, निशक्तजन और एपीएल कार्ड धारक होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब सरकार सभी को सस्ता चावल दे रही है तो एपीएल कार्ड वालों का चावल खरीदने वाले कौन लोग हैं। वे कैसी इससे मुनाफा कमाते होंगे। पहले ऐसा माना जाता था कि इस चावल का उपयोग इडली, दोसा और चावल के विविध व्यंजन बनाने वाले उद्योग करते हैं। अब इनमें बासमती चावल बेचने वाले बड़े ब्राण्ड भी शामिल हो गए हैं। पिछले कुछ वर्षों में बासमती का खंडा खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मॉल, मार्ट और सुपर स्टोर के ग्राहक अब 10 किलो के पैक्ड राइस बैग खरीदते हैं। इसमें अलग-अलग साइज का खंडा भी मिलता है। इन बस्तों के ऊपर लिखा होता है कि चावल में कितना प्रतिशत खंडा मिलाया गया है। यह चावल 48 से 55 रुपए किलो में मिल जाता है। एपीएल चावल का खंडा मिलाकर उसे बासमती के दाम पर बेचा जा रहा है। कागजों पर बिका चावल इसलिए दुकान से गायब हो जाता है।

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