-दीपक रंजन दास
राजनीति के लगातार बिगड़ते चेहरे से झल्लाए एक बुजुर्ग ने जमकर भड़ास निकाली। सेक्टर-9 मेन हॉस्पिटल के उत्तर में स्थित तालाब किनारे उनसे मुलाकात हो गई। वो इतने गुस्से में थे कि जुबान लडख़ड़ा जा रही थी। बोले – कांग्रेस को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। अब पार्टी में वह बात नहीं रही जो उसे एक महान राजनीतिक दल बनाती थी। कोई विचारधारा नहीं है। राहुल गांधी खूब मेहनत कर रहे हैं। जितना वो मेहनत करते हैं, उतना ही ट्रोल भी होते हैं। कांग्रेस की पूरी सेना चुपचाप बैठकर इसका तमाशा देखती है। ऐसे नेताओं को चुनाव से काफी पहले कांग्रेस छोड़ देना था। कुछ कुर्सियां खाली होतीं, कुछ नए चेहरों को मौका मिलता। यही हाल भाजपा का है। उनके पास दिखाने के लिए सिर्फ एक चेहरा है। उसी चेहरे को दिखाकर वो विधानसभा चुनाव जीतते हैं, लोकसभा चुनाव जीतते हैं और विदेश नीति भी चलाते हैं। चुनाव से ऐन पहले केन्द्र सरकार योजना जारी करती है और पूरी की पूरी भाजपा उसका प्रचार करने निकल पड़ती है। विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाएं एक हजार रुपये मिलने का फार्म भर रही थीं तो अब 70 पार के बुजुर्गों से पांच लाख रुपए वाले आयुष्मान कार्ड का फार्र्म भरवाया जा रहा है। क्यों भरवाया जा रहा है फार्म? क्या फार्म नहीं भरेंगे तो खुद को बुजुर्ग नहीं साबित कर पाएंगे? या योजना केवल उनके लिए है जो फार्र्म भरेंगे? भाजपा को इसका जवाब देना चाहिए, पर कोई पूछने वाला भी तो हो। वैसे भी आयुष्मान योजना बीमारों के लिए है। जो बीमार नहीं हैं उन्हें इससे कोई लेना देना नहीं है। कार्ड कितने का है इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार ने बीमारियों के पैकेज बना रखे हैं। इस पैकेज रेट पर किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं होता। वैसे भी सरकार ने बहुत सोच समझकर 70 पार के लोगों के लिए 5 लाख रुपए तक के इलाज की योजना बनाई है। जो शरीर 70 साल तक बिना मरम्मत के चल गया हो, इतना तो तय हो ही जाता है कि उसमें कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है। उसका चेसिस और बॉडी फिट है। उम्र के साथ थोड़ा धुआं तो छोड़ेगी ही। पर यह इंसानी शरीर है जिसका न तो इंजन बदला जा सकता है और न ही क्लच प्लेट। रही बात वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों की तो इसका इलाज करो या न करो, दोनों बराबर होता है। मामूली बीमारियां होती हैं जिसका इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ही हो जाता है। वैसे भी 70 पार के अधिकांश लोगों के पास जन्म का कोई प्रमाणपत्र नहीं है। उनका जन्म घर पर हुआ था। इसलिए जो उनके आधार कार्ड में लिखा है, वही सही है। अभी भी लोग राशन कार्ड और आधार कार्ड लेकर अस्पताल जाते हैं तो आयुष्मान कार्ड वहीं निकल जाता है। ये दोनों कार्ड उसके पास भी हैं, फिर फार्म क्यों? यह सरकारी खर्च पर चुनाव प्रचार है।
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