1996 से शुरू यह परंपरा एक-बच्चा नीति के दुष्प्रभाव से उपजी है, जहां अब 40 मिलियन ज्यादा पुरुष हैं और ‘शेंग नू’ (बची हुई लड़कियां) को ताने मिलते हैं. लेकिन 2025 में, जब चीन की आबादी 2024 में 13.9 लाख घटी, यह मार्केट और प्रासंगिक हो गया. पीपुल्स पार्क, शंघाई के ह्वांगपू जिले में स्थित यह हरा-भरा पार्क, वीकेंड पर शादी का बाजार बन जाता है. माता-पिता फोल्डिंग स्टूल पर बैठे प्रोफाइल दिखाते हैं. घूम-फिरकर ‘शॉपिंग’ करते हैं. यानी सही दुल्हा-दुल्हन तलाशते हैं.सारी क्वालिटी का करते हैं प्रदर्शन
माता-पिता इस पार्क में अपने बच्चों की सारी क्वालिटी उजागर करते हैं. यहां लगे बोर्ड्स पर कुंवारों की डिस्क्रिप्शन लिखी जाती है. इसमें ज्यादातर लड़कियों के लिए एड्स होते, क्योंकि लड़के बेहतर नौकरी-आमदनी वाले होते हैं. माता-पिता वीचैट आईडी शेयर करते हैं. अगर मैच मिले तो ‘ओल्ड फैमिली फ्रेंड्स डिनर’ बुलाते हैं वो भी बिना बच्चों को बताए. लेकिन बच्चे अक्सर इसकी वजह से नाराज हो जाते हैं.
बढ़ रहे हैं ऐसे बाजार का क्रेज
यह मार्केट सिर्फ शंघाई तक सीमित नहीं रहा है. अब ये बीजिंग, चेंगदू, ग्वांगझो में भी देखने को मिलने लगा है. लेकिन शंघाई वाला सबसे बड़ा है जहां हफ्ते में हजारों लोग पहुंचते हैं. अब चीन के युवा करियर, महंगाई, घर की कीमतों से जूझते हैं. इस वजह से शादी में उनका इंट्रेस्ट काफी कम हो गया है. 2024 में यहां शादियां 17% घटी जबकि जन्म दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया है. ऐसे में अब सरकार शादियों को प्रोत्साहन दे रही है. अब यहां बहु संतान पर कैश, मिल रहा है लेकिन इसका असर कम दिख रहा है. 2025 में, जनवरी के एक रिपोर्ट में बताया गया कि युवा स्वतंत्रता चाहते हैं लेकिन माता-पिता पार्क में उम्मीद जगाते हैं.





