-दीपक रंजन दास
देश में जब-जब चुनाव होते हैं, मतदान प्रतिशत एक बड़ा मुद्दा बन जाता है. कहा जाता है कि जब जनता बड़ी संख्या में मतदान करती है तो किसी न किसी पार्टी की एकतरफा जीत होती है. इसलिए राजनीतिक दलों से लेकर चुनाव विश्लेषकों तक की नजर वोटिंग प्रतिशत पर होती है. उधर, चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय करता है. इसके लिए चुनाव आयोग सुव्यधवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता कार्यक्रम (SVEEP) चलाता है. आम तौर पर यह कार्यक्रम कालेजों के माध्यम से संचालित किया जाता है. रैलियां निकाली जाती हैं, नुक्कड़ नाटक किये जाते हैं, पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. बावजूद इसके, इस कवायद का मतदान प्रतिशत पर कोई सीधा प्रभाव अब तक देखने में नहीं आया है. इस बार निर्वाचन आयोग ने महिला संगठनों को भी स्वीप कार्यक्रम से जोड़ा है. महिला संगठनों को भी नुक्कड़ नाटक, स्लोगन, रैली के माध्यम से मतदाताओं को जागरूक करने में लगा दिया गया है. यह और बात है कि इस बार भीषण गर्मी के चलते अधिकांश इलाकों में ये आयोजन फीके-फीके से हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो गया है. मतदान प्रतिशत को लेकर कोई भी आश्वस्त नहीं है. ऐसे में आइए एक नजर डालते हैं मतदाताओं की सांख्यिकी पर. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) द्वारा जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच जुटाए गए आंकड़ों की मानें तो 18 साल उम्र वाले 28.5 प्रतिशत युवा या तो काम कर रहे हैं या फिर काम की तलाश में हैं. 19 साल की उम्र वालों के लिए यह संख्या 31.3 प्रतिशत है. सर्वे के मुताबिक पहली बार मतदान करने वालों का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन 29.7 प्रतिशत था. इसका मतलब यह है कि पहली बार मतदान करने वाले 70 प्रतिशत मतदाता फिलहाल कोई काम नहीं कर रहे. कुल जनसंख्या के लिए यह प्रतिशत 58 है. शहरी क्षेत्रों में 78 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में 67 प्रतिशत आयु वर्ग वर्क फोर्स से बाहर है. इसके अलावा बड़ी संख्या में ये युवा या तो किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर अपने शहर से बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. 20 से 25 साल के युवा बड़ी संख्या में अपने घर से दूर हैं. यात्री परिवहन का जो हाल इस समय देश में है, कोई भी बिना इमरजेंसी के यात्रा करना नहीं चाहेगा. सवाल यह उठता है कि आखिर वास्तविक मुद्दों से परे की राजनीति में युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित कैसे करें? झल्लाए बैठे एक वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता ने एक बढ़िया सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि मतदान केन्द्रों के पास भण्डारे के व्यवस्था कर दी जाए. जो उंगली पर निशान लगवाकर आए उसे ही भोग दिया जाए. इससे न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ेगा बल्कि भण्डारे के दौरान ही ज्यादा से ज्यादा वोट पड़ जाएंगे. प्रस्ताव तो अच्छा है पर इसे प्रलोभन माना जा सकता है.
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