Blog

उपचार से बेहतर है रोकथाम- महिला व बाल विकास मंत्री राजवाड़े

दिव्यांग बच्चों के संरक्षण और बालिकाओं की सुरक्षा पर र्नस्थापनात्मक व्यवहार” विषय पर राज्य स्तरीय बहु-हितधारक कार्यशाला का हुआ आयोजन
रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी रायपुर के एक होटल में “दिव्यांग बच्चों के संरक्षण, बालिकाओं की सुरक्षा तथा बच्चों के सर्वाेत्तम हित के लिए पुर्नस्थापनात्मक व्यवहार” विषय पर राज्य स्तरीय बहु-हितधारक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि “बच्चों की देखरेख और संरक्षण राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। उपचार से बेहतर है रोकथाम।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार बच्चों के हित में ठोस कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षा और सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में कई महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू की हैं, जिससे बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने मिशन वात्सल्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, मुख्यमंत्री बाल उदय योजना और गैर-संस्थागत देखरेख कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 112 बाल देखरेख संस्थाओं के बच्चे शिक्षा, खेल और अन्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल कर रहे हैं। श्रीमती राजवाड़े ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा प्रारंभ किए गए “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” के बारे में बताया कि वर्ष 2029 तक राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सूरजपुर और बालोद जिले में इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बच्चों और बालिकाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण को सर्वाेच्च प्राथमिकता देने की सरकार प्रतिबद्धता को दोहराते हुए सभी प्रतिभागियों से अपील की कि वे अपने अनुभवों और ज्ञान का उपयोग जमीनी स्तर पर करें।

Untitled design

कार्यशाला में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, समाज कल्याण विभाग के सचिव श्री भुवनेश यादव, महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पदुम सिंह एल्मा, यूनिसेफ की कार्यक्रम विशेषज्ञ सुश्री श्वेता पटनायक पुलिस मुख्यालय तथा अन्य प्रतिनिधियों ने विशेष संबोधन दिए। तकनीकी सत्रों में दिव्यांग बच्चों की पहचान, उनकी विशेष आवश्यकताओं, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और पुर्नस्थापनात्मक प्रथाओं से जुड़ी जानकारी दी गई। समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए और भविष्य की कार्ययोजना में शामिल करने का संकल्प लिया। यह कार्यशाला दिव्यांग बच्चों के लिए सुरक्षित, संवेदनशील और समावेशी वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

The post उपचार से बेहतर है रोकथाम- महिला व बाल विकास मंत्री राजवाड़े appeared first on ShreeKanchanpath.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button