रायपुर। फिडे महिला शतरंज विश्व कप के फाइनल मुकाबले में दिव्या देशमुख ने ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हम्पी को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया। वह फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। कोनेरू हम्पी के पास वापसी का एक छोटा सा मौका था, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा सकीं। दिव्या ने काले मोहरों पर एक शानदार जीत दर्ज की। दिव्या देशमुख की जीत पर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने देश की दोनों बेटियों को बधाई दी हैं।
बता दें नौ दिसंबर 2005 को नागपुर में जन्मीं दिव्या ने पांच साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं। उनके पिता का नाम जितेंद्र और माता का नाम नम्रता है। दिव्या ने 2012 में सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती। इसके बाद उन्होंने अंडर-10 (डरबन, 2014) और अंडर-12 (ब्राजील, 2017) कैटेगरी में विश्व युवा खिताब भी जीते। इसके बाद 2014 में डरबन में आयोजित अंडर-10 वर्ल्ड यूथ टाइटल और 2017 में ब्राजील में अंडर-12 कैटेगरी में भी खिताब अपने नाम किया। अब उसने फिडे महिला शतरंज विश्व कप का खिताब भी अपने नाम किया।

शतरंज की बिसात पर भारत की बेटियों ने रचा इतिहास : सीएम साय
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि FIDE महिला शतरंज विश्व कप-2025 के फाइनल में भारत के लिए यह गर्व का क्षण था, जब भारत की बेटियाँ आमने-सामने रहीं। प्रतियोगिता में दिव्या देशमुख ने खिताब अपने नाम किया, वहीं कोनेरू हम्पी प्रतियोगिता की रनरअप बनी। यह केवल एक मैच नहीं था, बल्कि यह एक नए भारत की तस्वीर थी, जहाँ बेटियाँ न सिर्फ सपने देखती हैं, बल्कि उन्हें पूरी दुनिया के सामने साकार भी करती हैं। दोनों चैंपियनों ने पूरे टूर्नामेंट में जिस दृढ़ संकल्प, एकाग्रता और लगन का परिचय दिया, वह देश के युवाओं, खासकर बेटियों के लिए एक प्रेरणा है। आप दोनों की उपलब्धि पर पूरा भारत गौरवान्वित है। देश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएँ।

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