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वेदांता एल्युमीनियम ने अपने झारसुगुडा संयंत्र में प्राइमरी फाउंड्री अलॉय क्षमता को 120 किलो टन प्रति वर्ष तक बढ़ाया

यह रणनीतिक कदम भारत को ऑटो और इंजीनियरिंग सेक्टर के लिए उन्नत एल्युमीनियम सॉल्यूशन के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में और मजबूत बनाता है।
रायपुर/ भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी, वेदांता एल्युमीनियम ने झारसुगुडा स्थित अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) यूनिट में क्षमता विस्तार की घोषणा की है। इससे इसकी प्राइमरी फाउंड्री अलॉय (पीएफए) यूनिट की स्थापित क्षमता (इंस्टॉल्ड कैपेसिटी) 120 किलो टन प्रति वर्ष (केटीपीए) बढ़ जाएगी। इस विस्तार से वैश्विक ऑटोमोटिव और इंजीनियरिंग एल्युमीनियम बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी। गौरतलब है कि वेदांता एल्युमीनियम घरेलू बाजार में पीएफए का उत्पादन और आपूर्ति करने वाली पहली भारतीय कंपनी थी।

प्राइमरी फाउंड्री अलॉय महत्वपूर्ण ऑटोमोटिव कम्पोनेंट्स, जैसे- अलॉय व्हील्स, सिलेंडर हैड्स, इंजन ब्लॉक्स और ट्रांसमिशन हाउसिंग के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अपनी उत्कृष्ट ढलाई क्षमता, मजबूती और तापीय चालकता (थर्मल कंडक्टिविटी) के लिए प्रसिद्ध, ये अलॉय यानी मिश्र धातुएँ आधुनिक वाहनों के निर्माण के लिए आवश्यक हैं, जिनमें ईंधन दक्षता और कड़े उत्सर्जन नियंत्रण दोनों की आवश्यकता होती है। वेदांता के पीएफए को बीएस-VI और सीएएफई मानदंडों सहित वैश्विक गुणवत्ता मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें दुनिया भर के अग्रणी वाहन निर्माताओं के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनाता है।

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इस विस्तार का समय महत्वपूर्ण है। वैश्विक पीएफए बाज़ार 5.8 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है, जबकि भारत 6.5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ इससे आगे बढ़ रहा है। यह वृद्धि ऑटोमोटिव सेक्टर के तेज़ी से बढ़ते विकास और विद्युतीकरण तथा हल्के पदार्थों के लिए बढ़ते प्रोत्साहन के कारण हो रही है। अनुमानों के अनुसार, भारत का पीएफए बाज़ार अगले पाँच वर्षों में 7 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की दर से बढ़ेगा, जो वैश्विक रुझानों से आगे निकल जाएगा और मेक इन इंडिया पहल, उत्पाद-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के साथ तालमेल बिठाएगा।

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इस विस्तार की अहमियत पर वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, ’’हमारी प्राइमरी फाउंड्री अलॉय क्षमता का विस्तार हमारे ग्राहकों के लिए मूल्य संवर्धन और भारत को उन्नत एल्युमीनियम समाधानों के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो आत्मनिर्भर भारत मिशन को मजबूती देता है। यह एक रणनीतिक कदम है जो बेजोड़ गुणवत्ता और विश्वसनीयता के साथ उद्योग की उभरती ज़रूरतों को पूरा करने की हमारी क्षमता को पुख्ता करता है।’’

वेदांता एल्युमीनियम के सीओओ सुनील गुप्ता ने आगे कहा, ’’जैसे-जैसे हम अपने वैल्यू-ऐडेड उत्पादों के पोर्टफोलियो का विस्तार कर रहे हैं, वैसे-वैसे हम न केवल हल्के, ईंधन-कुशल वाहनों की ओर बदलाव का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि स्वदेशी विनिर्माण के विकास में भी योगदान दे रहे हैं और आयात पर भारत की निर्भरता को कम कर रहे हैं।’’

इसके अलावा, वेदांता एल्युमीनियम ने अपनी झारसुगुडा यूनिट को स्पेन के बेफेसा से अत्याधुनिक कास्टिंग लाइनों के साथ-साथ अत्याधुनिक इन-लाइन मैटल ट्रीटमेंट, डिगैसिंग और वर्टिकल चिल कास्टिंग टेक्नोलॉजी से सुसज्जित किया है। यह तकनीकी दक्षता सुनिश्चित करती है कि वेदांता के पीएफए गुणवत्ता और विश्वसनीयता के उच्चतम मानकों पर खरे उतरें। इस प्रकार भारत के बाहर यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया सहित अन्य बाजारों में एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में सेवा देने की कंपनी की रणनीति को बल मिलता है।

वेदांता एल्युमीनियम की विकास रणनीति का एक प्रमुख स्तंभ है- सस्टेनेबिलिटी। कंपनी की उपलब्धियों का प्रमाण इसके एल्युमीनियम स्टीवर्डशिप इनिशिएटिव (एएसआई) चेन ऑफ कस्टडी सर्टिफिकेशन से मिलता है, जो जिम्मेदार मैन्युफैक्चरिंग और सोर्सिंग का प्रमाण है। पीएफए, बिलेट, वायर रॉड और कंपनी की लो-कार्बन एल्युमीनियम लाइन जैसे रेस्टोरा व रेस्टोरा अल्ट्रा को कवर करते हुए, यह सर्टिफिकेशन ग्राहकों को ट्रेसेबिलिटी, ऐथिकल प्रैक्टिस और न्यून-कार्बन फुटप्रिंट का आश्वासन देता है, ये ऐसे गुण हैं, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या के साथ मेल खाते हैं। झारसुगुडा में वेदांता एल्युमीनियम का पीएफए विस्तार न केवल बढ़ती क्षमता का संकेत देता है, बल्कि भारत और दुनिया के लिए हाई-परफॉर्मेंस अलॉय (मिश्र धातुओं) के भविष्य को आकार देने के लिए एक विचारशील, प्रौद्योगिकी-आधारित एवं सस्टेनेबल दृष्टिकोण का भी संकेत देता है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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