किसी भी हादसे के बाद सुरक्षा और सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीर चर्चा होती है। अहमदाबाद एअर इंडिया विमान हादसे के बाद भी सुरक्षा को लेकर बातें हो रही हैं। यात्री विमान को लेकर हमेशा एक सवाल उठता है कि आखिर यात्री विमान की सबसे सुरक्षित सीट कौन-सी होती है। सुरक्षित सीट से पहले यह भी जानना होगा कि दुनिया का सबसे सुरक्षित परिवहन क्या है? यदि हवाई यात्री की बात करें तो हां, हवाई यात्रा दुनिया के सबसे सुरक्षित परिवहन तरीकों में से एक मानी जाती है।2023 को अब तक का दूसरा सबसे सुरक्षित वर्ष माना गया है, जैसा कि एविएशन सेफ्टी नेटवर्क डेटाबेस में दर्ज घटनाओं से पता चलता है। 2023 में कुल 3.5 करोड़ उड़ानों में से केवल 1,213 गंभीर घटनाएं, 134 दुर्घटनाएं, 5 घातक दुर्घटनाएं और 105 मौतें हुईं। पिछले पांच वर्षों में औसतन हर साल केवल 13 दुर्घटनाएं और 300 मौतें होती रही हैं। आइए अब असली मुद्दे पर आते हैं कि विमान की सबसे सुरक्षित सीट कौन सी होती है।
आप कहां बैठते हैं, इससे फर्क पड़ता है क्या?
हां, कई अध्ययनों के अनुसार विमान में कौन-सी सीट पर बैठा जाता है, उससे आपात स्थिति में जीवित रहने की संभावना प्रभावित हो सकती है। विमान में कौन-सी जगह सबसे सुरक्षित मानी जाती है? अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने 1971 से 20 विमान दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया और पाया कि पीछे की सीटों पर बैठने वालों की जीवित रहने की संभावना 69% थी। सामने बैठने वालों की संभावना 49%। विंग (पंख) के पास वालों की संभावना 59% थी।
कौन-सी सीट ज्यादा सुरक्षित विंडो, मिडल या आइल सीट?
Time मैगजीन द्वारा की गई FAA (अमेरिका की एविएशन अथॉरिटी) की एक रिपोर्ट के अनुसार विमान के पीछे मिडल सीट पर बैठने वालों की मौत की दर केवल 28% थी, जबकि विमान के बीच की पंक्तियों की आइल सीट पर मौत की दर 44% तक थी। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, मिडल सीट इसलिए ज्यादा सुरक्षित होती है क्योंकि यात्रियों के दोनों ओर अन्य लोग मौजूद रहते हैं जो बफर का काम करते हैं।
क्या सीट की सुरक्षा आपात स्थिति पर निर्भर करती है?
जी हां, दुर्घटना का प्रकार और प्रभाव का स्थान सीट की सुरक्षा को प्रभावित करता है। 1989 में यूनाइटेड फ्लाइट 232 के हादसे में 269 में से 184 लोग विमान के अगले हिस्से में बैठकर बच गए थे। अगर विमान पहाड़ से टकरा जाए या नाक की ओर समुद्र में गिर जाए, तो बचने की संभावना और घट जाती है। FAA का मानना है कि कई दुर्घटनाओं में जीवित बचने वालों और मरने वालों के स्थान यादृच्छिक (रैंडम) होते हैं, इसलिए कोई भी सीट पूर्णतः “सुरक्षित” नहीं कही जा सकती।
अहमदाबाद हादसे में क्या हुआ?
अहमदाबाद एअर इंडिया विमान हादसे में भी सीट का फैक्टर सामने आया है। आमतौर पर 11 नंबर सीट पर कोई बैठना नहीं चाहता, क्योंकि यह सीट बीच में पड़ती है, इसलिए लोगों को विमान से बाहर निकलने में परेशानी होती है लेकिन आपको हैरानी होगी कि अहमदाबाद विमान हादसे में एक ही शख्स जिंदा बचा है और उसकी सीट 11A थी जो कि इमरजेंसी विंडो वाली सीट थी।