-दीपक रंजन दास
देश आतंकवाद के खिलाफ तो एकजुट है ही, अब विकास पर भी एकजुटता दिखाई दे रही है। शुक्रवार को केरल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विझिनजाम इंटरनेशनल डीप सी-वाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी उपस्थित थे। पोर्ट का संचालन करने वाले अडाणी ग्रुप के गौतम अडाणी भी मौजूद रहे। 8,800 करोड़ की लागत से बने इस बंदरगाह में तीन गुना ज्यादा जहाजों का ट्रांस-शिपमेंट किया जा सकेगा और अब बड़े-बड़े माल ढोने वाले जहाज भी सीधे भारत आ सकेंगे। बेशक भारत के पास एक लंबी समुद्री सीमा है पर इसमें बंदरगाह सीमित संख्या में ही हैं। उसपर भी पर्याप्त गहराई वाले बंदरगाह कम हैं। इसलिए बड़े मालवाहक जहाजों को अब तक कोलंबो, सिंगापुर जैसे विदेशी पोर्ट में जाना होता था जहां से माल को छोटे जहाजों में ट्रांसफर किया जाता था ताकि वे भारत आ सकें। भारत से जाने वाले माल के साथ भी यही होता था। इसे ट्रांसशिपमेन्ट कहते हैं। अब यह सारा काम यहीं हो सकेगा। इसके चलते इस बंदरगाह पर रोजगार की नई संभावनाएं पैदा होंगी और भारत की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी। इस पोर्ट का दूसरा बड़ा लाभ यह है कि यह सी-पोर्ट इंटरनेशनल शिपिंग मार्ग से केवल 19 किलोमीटर दूर है। इसकी वजह से बड़े जहाजों को रास्ते से ज्यादा हटना नहीं पड़ेगा जिससे समय बचेगा और लागत कम होगी। यह यूरोप, मध्यपूर्व और सुदूर पूर्व के बीच व्यापार के लिए आदर्श पोर्ट साबित होगा। केरल के इतिहास में यह एक बड़ी घटना है। इसलिए मुख्यमंत्री की मौजूदगी तो होनी ही थी। शशि थऱूर तिरुवनन्तपुरम से लगातार सांसद हैं। इसलिए इस मौके पर उनकी भी उपस्थिति भी बनती थी। पर यहां भी राजनीति घुस आई। प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इंडी गठबंधन के मजबूत स्तंभ हैं। शशि थऱूर भी बैठे हैं। यह कार्यक्रम कई लोगों की नींद उड़ाने वाला है। जहां मैसेज जाना था चला गया। यही देश का दुर्भाग्य है। चुनाव जीतकर संसद पहुंचने के बाद भी लोग भाजपा सांसद, कांग्रेस सांसद, बीजद या किसी और दल के सांसद बने रहते हैं। यही हाल राज्य विधानसभाओं का भी है। पक्ष और विपक्ष में बैठकर बहस करना समझ में आता है पर पार्टीगत आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। जनता का मनोरंजन करना क्या इतना जरूरी है? क्या अलग-अलग दलों का प्रतिनिधित्व करना इतना बड़ा पाप है कि लोग साथ-साथ एक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते, पास-पास बैठ नहीं सकते? क्या अब इसका यह मतलब निकाला जाए कि विजयन और थरूर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं? लोकतंत्र की हंसी दुनिया क्या उड़ाएगी, हम खुद ही इसके लिए काफी हैं। हमारे यहां विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्र का नहीं बल्कि केवल पार्टी का प्रतिनिधि होता है, जिसे जिता ले जाने की जिम्मेदारी भी पार्टी की होती है। जनप्रतिनिधित्व की ऐसी की तैसी।

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