झुंझुनूं : चैत्र नवरात्र इस बार 9 अप्रैल मंगलवार से शुरू होंगे. समापन 17 अप्रैल बुधवार को होगा. इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन के नवरात्र रहेंगे. पंडित दिनेश मिश्रा के अनुसार नवरात्र स्थापना के दिन अमृत सिद्वि, सर्वार्थ सिद्वि और कुमार योग बनने का अनूठा संयोग बनेगा, जिससे इन नवरात्रों में की गई आराधना विशेष फलदायी साबित होगी.
इस बार नवरात्र के प्रथम दिन दोपहर 2:18 बजे तक वैधृति योग होने के कारण प्रात:काल में घट स्थापना नहीं हो पाएगी. इस बीच अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:04 बजे से 12:54 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं. घटस्थापना के साथ ही माता दुर्गा के पाठ प्रारंभ हो जाएंगे. मान्यतानुसार अखंड ज्योत जलाकर भी मातेश्वरी की आराधना की जा सकती है. इस दौरान रामचरित मानस के पाठ करने का भी विशेष महत्व है.अच्छी बारिश के संकेत
मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्र के समय हर दिन के अनुसार माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं. इस बार माता रानी अश्व पर सवार होकर आने से शास्त्रों के अनुसार शासकों में हठधर्मिता का प्रभाव रहेगा. वहीं हाथी का प्रस्थान करने को अच्छी बरसात के साथ अच्छी फसल की पैदावार होने के संकेत माने जाते हैं.
चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है. पंडित मिश्रा ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है. इसलिए लाल रंग का आसन खरीदें. या आसन पर लाल कलर का कपड़ा बिछाएं. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी पूजन में काम में लेनी चाहिए.
कलश स्थापना का मुहूर्तकलश स्थापना की तिथि 9 अप्रैल दोपहर 12:00 बजे से 12:04 के बीच है. वहीं इस दौरान अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा. मुहूर्त की अवधि 50 मिनट तक रहेगी