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कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा छीन रही मोहन सरकार? ओल्ड पेंशन स्कीम पर विधानसभा में सवाल – MADHYA PRADESH OLD PENSION SCHEME

भोपाल : मध्यप्रदेश में बजट सत्र के पांचवें दिन ओल्ड पेंशन स्कीम पर सवाल उठाया गया. कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने इसके जरिए मध्यप्रदेश के साढ़े 6 लाख कर्मचारियों का मुद्दा उठाया है. विधायक ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा छीन रही है. उन्होंने सदन में मांग उठाई कि सरकार एक बार फिर ओल्ड पेंशन स्कीम शुरु करे, जिससे उनकी सेवा भी हो सके, जो जीवनभर सेवा कर बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच गए हैं.

ओपीएस फिर चालू करे सरकार : मार्को

पुष्पराजगढ़ से कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने सदन में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को संबोधित करते हुए कहा, ” कोई व्यक्ति सालों सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त होता है. लेकिन सरकार ने उसके बुढ़ापे का सहारा ही छीन लिया. ओपीएस बंद करने से भले ही सरकार का लाभ हो, लेकिन इसे चालू कर कर्मचारियों का उद्धार करना चाहिए. क्योंकि रिटायरमेंट के बाद एक पेंशन ही सहारा होती है.”

ओपीएस को लेकर लगातार हो रहे आंदोलन

ओल्ड पेंशन स्कीम को पुन: लागू करने की मांग कर्मचारी संगठन भी लगातार कर रहे हैं. इसे लेकर तरह-तरह के आंदोलन भी हो रहे हैं. कर्मचारी संगठन लगातार ओल्ड पेंशन स्कीम और डीए को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं. वहीं अब ओपीएस और डीए का मामला विधानसभा में भी उठ गया है.

इस बजट में मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार कर्मचारियों और पेंशनर्स को डीए और डीआर को लेकर भी काई निणर्य लेगी. लेकिन ऐसा नहीं होने से कर्मचारियों में आक्रोश है. मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ भोपाल के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा, ” कर्मचारियों को उम्मीद थी, कि सरकार इस बार कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए जुलाई 2024 से 3 प्रतिशत मंहगाई भत्ता और मंहगाई राहत प्रदान करेगी.”

12 साल से नहीं बढ़े ये भत्ते

उमाशंकर तिवारी ने बताया, ” बजट में कर्मचारियों को देय भत्ते 1 अप्रैल 2025 से सातवें वेतनमान के पुनरीक्षण करने की बात कही गई है, जो की उचित नहीं है. कर्मचारियों को लगभग 12 साल से अधिक हो गया, गृह भाड़ा वाहन भत्ता, यात्रा भत्ता, वर्दी जोखिम भत्ता, आदिवासी भत्ते और विकलांग भत्ता पहले की तरह मिल रहा है. इन भत्तों में वृद्धि करने की मांग संगठन द्वारा काफी समय से की जा रही थी. लेकिन सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से देने का कहा है. उससे कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान होगा.”

Manoj Mishra

Editor in Chief

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