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छत्तीसगढ़ का कांगेर वैली नेशनल पार्क विश्व धरोहर की स्थायी सूची में होगा शामिल, लोकसभा में केन्द्रीय मंत्री ने जानकारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को की विश्व धरोहर की स्थायी सूची में शामिल हो सकता है। लोकसभा में सोमवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (कांगेर वैली नेशनल पार्क) को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की स्थायी सूची यानी परमानेंट लिस्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की जानकारी दी है। यदि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज सूची में अंतिम रूप से स्थान मिल जाता है, तो इससे क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, यह छत्तीसगढ़ को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा।

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बता दें  हाल ही में यूनेस्को ने कांगेर वैली को विश्व धरोहर की आस्थाई सूची में शामिल किया है। छत्तीसगढ़ का कांगेर वैली प्रदेश के पर्यटन का गर्व है। यूनेस्को ने कांगेर वैली को विश्व धरोहर की आस्थाई सूची में शामिल होने के बाद इसके स्थाई सूची में शामिल होने का इंतजार होने लगा। सोमवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की स्थायी सूची यानी परमानेंट लिस्ट में शामिल करने प्रस्ताव दिए जाने की घोषणा उस समय की जब सांसद संबित पात्रा ने उड़ीसा की जगन्नाथ यात्रा को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने की मांग की। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि इस वर्ष भारत ने छह स्थलों के नाम यूनेस्को को भेजे हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल है।

प्राकृतिक सौंदर्य से है परीपूर्ण
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित है और यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। कांगेर घाटी अपनी जैव विविधता, घने जंगलों और अद्भुत गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस उद्यान का नाम यहां बहने वाली कांगेर नदी से लिया गया है। यह लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। यह क्षेत्र साल, सागौन और बाँस के वृक्षों से आच्छादित है और यहाँ 555 से अधिक शाकाहारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 45 दुर्लभ हैं। पर्यटन के लिहाज से भी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान बेहद महत्वपूर्ण है। यहां की कुटुम्बसर, कैलाश और डंडक गुफाएं भूवैज्ञानिक संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर धारा और भैंसा दरहा जैसे स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह क्षेत्र न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि संरक्षण और अनुसंधान के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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