-दीपक रंजन दास
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक घोषणा की. जैसा कि अपेक्षित था, तालियों से इस योजना का स्वागत किया गया. घोषणा यह है कि मध्यप्रदेश सरकार ऐसा कानून लेकर आएगी जिसमें धर्मांतरण कराने वाले को फांसी पर लटकाया जा सकेगा. अर्थात धर्मांतरण अब जघन्य अपराधों में शामिल हो जाएगा. वैसे अब तक फांसी केवल रेयरेस्ट-ऑफ-रेयर केस में ही दी जाती है. वैसे भारत का संविधान अपने नागरिकों को अपनी इच्छा के अनुसार धर्म चुनने की इजाजत देता है. प्रलोभन और जबरिया धर्मांतरण पहले ही अपराध की श्रेणी में आता है. इसकी रोकथाम और सजा के लिए केन्द्र का कानून है जो पूरे देश पर लागू होता है. धर्मांतरण एक बड़ा भावनात्मक राजनीतिक मुद्दा है. जिन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं, जिनके आसपास ऐसी कोई घटना कभी हुई नहीं वह भी तैश में आ जाता है. तलाक को लेकर भी ऐसी ही धारणा है. देश में तलाक के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें सभी धर्म, पंथ और सम्प्रदाय के लोग शामिल हैं. स्वाभाविक रूप से इसमें सबसे बड़ी संख्या हिन्दुओं की है. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के मुताबिक पिछले पांच सालों में विवाह विच्छेद के मामलों में 35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यूनाइटेड नेशंस की तरफ से जारी रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक भारत में डिवोर्स के मामले पिछले कुछ सालों में लगभग दोगुने हो चुके हैं. साल 2005 में ये दर 0.6 प्रतिशत थी, जो 2019 में बढ़कर 1.1 प्रतिशत तक पहुंच गई. चिंता का विषय तो यह होना चाहिए था. बहरहाल, बात मध्यप्रदेश की हो रही थी. मप्र सरकार ने 2021 में ही धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम बनाया था जिसमें अब वह संशोधन करने जा रही है. हालांकि इसकी प्रक्रिया लंबी होगी पर इसके साथ ही धर्मांतरण पर मृत्युदंड देने वाला वह पहला राज्य बन जाएगा. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट डॉ. विनय हसवानी कहते हैं कि दूसरे राज्यों ने भी कानून बनाकर उम्रकैद जैसे सख्त प्रावधान किए हैं. सीनियर एडवोकेट सचिन वर्मा भी कहते हैं कि जबरन धर्मांतरण पर फांसी की सजा का प्रावधान किया जा सकता है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विवेक तन्खा कहते हैं कि संवैधानिक और कानूनी तौर पर ये संभव ही नहीं है. यह पार्टी नेताओं को खुश करने के लिए दिया गया बयान है. वैसे भारत के 28 में से 11 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून मजूद हैं. ये राज्य हैं – ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश. राजस्थान भी इस दिशा में भी जल्द ही यह अस्तित्व में आ सकता है. धर्मांतरण पर अब तक का सबसे कठोर कानून उत्तर प्रदेश का है. यहां धर्मांतरण करवाने वाले को उम्र कैद की सजा दी जा सकती है. फांसी की सजा अब तक केवल जघन्यतम मामलों में ही दी जाती है जिसमें छोटी बच्चियों का बलात्कार, सामूहिक बलात्कार या हत्या, आदि शामिल हैं.

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