छत्तीसगढ़

सहायक शिक्षक रोड किनारे बेच रहा पकोड़े, रोते हुए कहा- अब सिर्फ नक्सली बनना ही रास्ता

धमतरी: कुरूद में रोड किनारे एक पूर्व सहायक शिक्षक पकोड़े बेच रहा है. इस व्यक्ति का नाम गौरव गुप्ता है. 36 साल का गौरव गुप्ता उन 2900 सहायक शिक्षकों में से एक है, जिन्हें हाल ही में नौकरी से टर्मिनेट कर दिया गया था. गरीबी में पढ़ाई कर किसी तरह टीचर बने. लगभग डेढ़ साल नौकरी की. इसके बाद सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए नौकरी से निकाल दी. अब “शासकीय सेवा से निकाले गए बीएड धारी सहायक शिक्षकों का चाय पकोड़ा ठेला” नाम से दुकान चला रहे हैं.सहायक शिक्षक बेच रहा पकोड़ा: गौरव गुप्ता के ठेले पर ETV भारत पहुंचा. उनसे बात की. गौरव ने बताया कि उनकी नियुक्ति 2023 में भारत सरकार के राजपत्र 2018 और छत्तीसगढ़ के राज पत्र 2023 के तहत पूरी प्रक्रिया के तहत हुई थी. विज्ञापन में जिस प्रकार नियमवाली बताए गए थे कि प्राथमिक में बीएड को शामिल किया गया है. पूरी प्रक्रिया के तहत उन्हें नियुक्त किया गया था. वे कहते हैं कि अचानक से राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला आता है और पूरे भारत में लागू हो जाता है.छत्तीसगढ़ में हम पहले कैंडिडेट हैं जिन्हें बाहर कर दिया गया. इसका कारण है कि 2018 में मोदी सरकार के समय बने राज पत्र को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया है.”सरकार, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका पर आरोप: गौरव गुप्ता ने कहा “हम जिस राज्य में रहते है उस राज्य की तैयारी करते है. हम तैयारी करते हैं तो बाहर क्या चल रहा ये कैसे पता रहेगा. राज्य का राज पत्र दिमाग में रहता है. लेकिन जो भी हुआ हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं. हमारी गलती क्या है. हमने सरकार, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका के ऊपर विश्वास करके तैयारी की थी. लेकिन आज मेरी कंडीशन क्या से क्या हो गई है. सरकारी नौकरी से निकाल दिया गया है. 2897 लोगों की नौकरी छीन ली गई. मेरा लोन भी चल रहा है. केस करने के लिए लोन लिया था. पहले का भी कर्ज था. अब मैं क्या करूं.

कई बच्चों को अधिकारी डॉक्टर बना चुके हैं गौरव: पकोड़ा दुकान लगाने के लेकर गौरव गुप्ता ने कहा “मेरी इनकम का सोर्स नहीं है. मेरे अंदर का आत्मविश्वास खत्म हो चुका है. मैं अगर पढ़ाने भी जाऊ तो कहीं पढ़ा नहीं सकूंगा. मैंने 12 साल कुरुद में पढ़ाया. मेरे पढ़ाए हुए बच्चे आईएएस, डॉक्टर है. मैं अपने आत्मसम्मान को कैसे बचाउं. आज स्थिति ये है कि मरना चाहता हूं लेकिन मर भी नहीं पा रहा, घर में मां है. बहुत ही खराब परिस्थतियों में पढ़ाई की. आज ना रो पा रहा हूं. किसे अपना दुख बताएं. सरकार हमारी बात सुनना नहीं चाहती, कोर्ट कहता है कि नियमों से चलना है. हम कहां जाए, क्या करें.”

दोस्तों से मदद लेकर खोली पकोड़े की दुकान: गौरव गुप्ता बताते हैं कि जिन दोस्तों की आर्थिक स्थिति ठीक है, उनसे पैसे लेकर पकोड़े का ठेला खोला. मेरे पास पैसे नहीं है. दोस्तों से 500-500 रुपये लेकर पकोड़े का ठेला खोला. ETV भारत के जरिए सरकार से अपील करते हुए गौरव ने कहा कि सरकार यदि संवेदनशील है तो उन्हें कहीं समायोजित कर लें, ताकि उनका घर परिवार बर्बाद होने से बच जाए.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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