सनातन धर्म में दीप जलाने का विशेष महत्व है. यह दीपक अपने पितरों, देवों और देवियों को प्रसन्न करने के लिए जलाए जाते हैं. दीपक अंधकार को दूर करके प्रकाश फैलता है. यह नकारात्मकता को दूर करता है और घर में सकारात्मकता आती है. बहुत सारे घरों के बाहर शाम के समय में दीपक जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शाम को माता लक्ष्मी का प्रवेश घर में होता है, इसलिए लोग घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाते हैं. लेकिन इसमें कुछ गलती भी करते हैं. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न नहीं होंगी और आपके घर में नकारात्मकता आ सकती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं दीपक जलाने के नियमों के बारे में.
दीपक जलाने के नियम
1. घर के मुख्य द्वार के बाहर सूर्यास्त होने के बाद जब अंधेरा होने लगे यानी प्रदोष काल प्रारंभ हो जाए तो उस समय दीपक जलाना चाहिए.
2. प्रदोष काल के समय घर के मुख्य द्वार को खोल दें. उसके बाहर घी का दीपक माता लक्ष्मी के लिए जलाएं. रुई की बाती का इस्तेमाल करें. उस दीपक को मुख्य द्वार के बाएं तरफ रखना चाहिए. यदि आपके पास घी नहीं हैं तो तिल या सरसों के तेल का दीपक भी जला सकते हैं, लेकिन इसे दाईं ओर रखें. घी का दीपक देवी और देवताओं के लिए जलाते हैं.
इस दीपक को मुख्य द्वार के पूर्व या उत्तर की दिशा में रखा शुभ होता है. दक्षिण दिशा में दीपक पितरों के लिए रखते हैं. मिट्टी का दीपक सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन आप पीतल के दीपक का भी उपयोग कर सकते हैं.
4. जहां पर दीपक रखें, वहीं पर एक लोटे में या गिलास में पानी भी रख दें. दीपक जलाने से अंधकार दूर होगा और जल नकारात्मक शक्ति को नष्ट करता है.5. दीप जलाने के बाद बहुत से लोग अपने मुख्य द्वार को बंद कर देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. यदि माता लक्ष्मी के आगमन के लिए दीप जलाया है और द्वार बंद कर देंगे तो घर में उनका प्रवेश कैसे होगा?6. कई जगह की कमी के कारण लोग मुख्य द्वार के पास ही जूते-चप्पल या कोने में कूड़ेदान रख देते हैं. ये वस्तुएं वहां पर नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती हैं. जूते-चप्पल का संबंध शनि देव से माना जाता है. इससे आप उस स्थान पर शनि की उपस्थिति को बढ़ा देते हैं. ऐसा न करें.अपने घर के मुख्य द्वार को सजाकर रखें. दीपक जब शांत हो जाए तो उसे उठाकर ऐसी जगह पर रख दें, जहां उसे पैर न लगे.