सतना: वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है. इसके अलावा, जब खेतों में गेहूं की फसल से निकली पराली, धान की पराली और अन्य फसलों से निकलने वाले अपशिष्ट या वेस्ट जलाएं जाते हैं तो यही वायु प्रदूषण चरम पर चला जाता है. खेतों में अपशिष्ट जलाने से भारी मात्रा में धुंआ और गैसें निकलती हैं, जो हवा में मिलकर वातावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. वहीं, कृषि भूमि भी प्रभावित होती है
कृषि सलाहकार अमित त्रिपाठी ने बताया कि खेत में हार्वेस्टिंग के बाद जो पराली निकलती है, उसे जलाने से खेत की उर्वरक क्षमता नष्ट होती है और सूक्ष्म जीवाणु भी जल जाते हैं. इसलिए किसान जैव अपघटक का खेतों में छिड़काव कर कृषि अपशिष्ट को खेतों में ही गला दें. इससे उन्हें हरित खाद भी मिलेगी और भूमि की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी.
कैसे काम करता है जैव अपघटक
इफको परामर्श केंद्र अधिकारी अमित त्रिपाठी ने बताया कि जैव अपघटक के अंदर जिंदा कीटाणु होते हैं जो कृषि अपशिष्ट यानी किसी भी फसल की पराली में जाते ही उसे 8 से 10 दिन में डिकम्पोज कर खाद बना देते हैं. इसके लिए आप को जैव अपघटक लेना है, जो मात्र 20 रुपये में आप को किसी भी इफको केंद्र में मिल जाएगा, जिसे डिब्बी से चम्मच या किसी लकड़ी के सहारे निकालकर 120 लीटर पानी में मिला लेना है. साथ ही जीवाणुओं के भोजन के लिए 1 केजी बेसन और 1 से 2 किलो गुड़ डालना है, जिसे घड़ी की दिशा में लकड़ी के माध्यम से चलाना है. ऐसे ही लकड़ी के माध्यम से 4 से 5 दिन तक दिन में तीन बार चलाएं.खेतों में करें छिड़काव
5 दिन बाद जब घोल से आप को बदली हुई गंध और जीवाणु दिखने लगें तो अपने खेतों में छिड़काव कर दें. आप देखेंगे कि छिड़काव के 8 से 10 दिन बाद पराली पूरी तरह से गल कर हरित खाद बन जाएगी, जो आप के खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाएगी