राजकोट: ज़िंदगी में कुछ नया और हटके करने के लिए यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं, बल्कि जुनून और एक्सपेरिमेंट की चाहत चाहिए. राजकोट के जमकंडोराना तालुका के राजपारा गांव के महेशभाई गर्हिया ने 10 बीघा जमीन पर ऑर्गेनिक खेती के ज़रिए अपनी अलग पहचान बनाई है. जैसे महात्मा गांधी ने सत्य के साथ प्रयोग किए, वैसे ही महेशभाई ने प्राकृतिक खेती के साथ अपने सफर को खास बनाया.
खेती में एडवेंचर की कहानी
महेशभाई कहते हैं, “मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन खेती में कुछ नया करने का जुनून हमेशा रहा है. 2006 से मैंने एक एकड़ जमीन पर गाय-आधारित खेती शुरू की. 2018 में जब कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकरजी का कैंप हुआ, तो मेरी सोच बदल गई और मैंने पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती अपनाई.”कश्मीरी मिर्च का तड़का
महेशभाई बताते हैं, “मैंने अपने खेत में कश्मीरी मिर्च उगाने का सपना देखा. इसके लिए मैंने बेंगलुरु से बीज मंगवाए और शानदार फसल भी ली. ये सब मेरे एक्सपेरिमेंटल एटीट्यूड की वजह से मुमकिन हुआ.”
अपने ब्रांड से पहचान
महेशभाई सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने ‘विश्वास नेचुरल ग्रुप’ के नाम से ग्राउंडनट ऑयल, मिर्च-हल्दी पाउडर जैसे प्रोडक्ट खुद प्रोसेस करके बेचना शुरू किया. वह कहते हैं, “ऑर्गेनिक खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि न ही मिट्टी खराब होती है, न ही हमारे ग्राहक के पेट में केमिकल्स जाते हैं.”
सरकार से अपील
महेशभाई का मानना है कि सरकार को मार्केटिंग यार्ड में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए. इससे गाय-आधारित खेती करने वाले किसानों और ग्राहकों को एक ही जगह पर आसानी से बाज़ार मिलेगा.पढ़ाई से ज्यादा ज़रूरी है अपने काम में कुछ नया करने का जुनून और एडवेंचर. खेती को बिजनेस की तरह देखो और एक्सपेरिमेंट करते रहो. सफलता ज़रूर मिलेगी.”