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पहल: रुकेंगे रेल हादसे… दरार मिलने पर बजेगा बजर, रेलवे ट्रैक पर खामियां देख रोबोट भेजेगा सिग्नल

ग्रेटर नोएडा (एजेंसी)। देश में रेलवे पटरी डैमेज होने से बढ़ते हादसों के बीच गाजियाबाद के काईट कॉलेज के छात्रों का नवाचार एक बड़ी उम्मीद जगाता है। ग्रेनो में लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में द इन्वेंटर्स चैलेंज 2024 के ग्रैंड फिनाले हिस्सा लेने आए छात्रों ने रेलवे ट्रैक की निगरानी के लिए रोबोट तैयार किया है। रेल रक्षा बोट नाम का यह रोबोट रेलवे ट्रैक पर मौजूद कमियों की पहचान करके मोबाइल एप के माध्यम से पास के वर्क स्टेशन पर निर्देश भेजेगा। इसके साथ ही दरार, मोड़ों या अन्य विकृतियों समेत ट्रैक पर आई कमियों की जानकारी देगा।

यदि ट्रैक पर कोई बड़ी दिक्कत दिखाई दी तो इसकी जानकारी सिग्नल के माध्यम से भेजेगा। वर्क स्टेशन पर सूचना मिलते ही तत्काल रेलवे प्रशासन की ओर से कमियों को दूर किया जा सकेगा। जिससे रेल हादसा होने से रोका जा सकेगा। गाजियाबाद के काईट कॉलेज के शिक्षक डॉ. हिमांशु चौधरी ने बताया, रेलवे ट्रैक में दरारों या अन्य अनियमितताओं की जांच करने के लिए दृश्य निरीक्षण, अल्ट्रासोनिक परीक्षण, एडी करंट परीक्षण, चुंबकीय कण निरीक्षण, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और थर्मल इमेजिंग समेत हाल ही में कई तरीके हैं।

प्रत्येक तकनीक ट्रैक पर दिखाई देने वाली दरारों, मोड़ों या अन्य विकृतियों को देखने के लिए नियमित मैन्युअल निरीक्षण के आधार पर ट्रैक दोषों या विसंगतियों की पहचान करती है। रेलवे ट्रैक के लंबे हिस्सों में दोषों की मैन्युअल रूप से जांच करना व्यावहारिक रूप से आसान नहीं है, जिससे मानवीय गलतियों के कारण यह गलत हो जाता है।

कमियां मिलने पर चालू हो जाएगा बजर
रोबोट तैयार करने वाली टीम सदस्य आयूष, हर्ष और अतुल कुमार ने बताया कि यह एक प्रोटोटाइप है। जो पूरी तरह से स्वायत्त है। रेलवे अल्ट्रासोनिक और मशीन लर्निंग प्रशिक्षित कैम मॉड्यूल जैसे विभिन्न सेंसर का उपयोग करके विभिन्न परीक्षण और निगरानी करके दोषों का पता लगाने में सक्षम होगा। आईआर टैक में पहले स्तर की विकृति का पता लगाता है और कार्य केंद्र को रिपोर्ट करता है। कमियां मिलने पर बजर चालू हो जाएगा। बजर बजने पर रेलबोट रुक जाएगा और कुछ कदम पीछे चला जाएगा। साथ ही साथ जीपीएस/जीएसएम मॉड्यूल उस स्थान के सटीक निर्देशांक भेजेंगे। जहां भी विकृति पाई गई थी। यह सभी लाइव जानकारी मोबाइल एप पर भेजेगा।

लर्निंग मॉडल भी किया प्रशिक्षित
अपूर्व ने बताया, इसके लिए एक मशीन लर्निंग मॉडल भी प्रशिक्षित किया गया है। जो ट्रैक में मौजूद विकृति के प्रकार के बारे में अपडेट देता है। यह एमएल मॉडल हमें किसी भी अज्ञात वस्तु के बारे में अपडेट देता है। जो इसकी उचित पहचान और वर्गीकरण के साथ ट्रैक पर आता है। ट्रैक पर किसी जानवर के आने के साथ साथ पत्थर रखे जाने की सूचना भी भेज देगा। उनके इस प्रोजेक्ट पर एआईसीटीई की ओर से आयोजित न्वेंटर्स चैलेंज 2024 में चुना गया है।

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