छोटे-छोटे गोल आकार वाले आंवला फल को विटामिन सी की खाजाना माना जाता है. इस पेड़ को आयुर्वेद का ‘राजा’ भी कहा जाता है. आंवला का पेड़ गार्डन और खेतों में आसानी से लगाया जा सकता है. कई किसान तो इसकी उन्नत तकनीक से खेती भी करते हैं. इस पेड़ को धार्मिक दृष्टि से भी पूजनीय माना जाता है. आंवले का पेड़ भगवान विष्णु के रूप में पूजा जाने वाला पेड़ है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाई जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा होती है
आंवले की खेती करने वाले उन्नत किसान कालू राम ने बताया कि आंवले का पेड़ जुलाई से सितंबर के महीने में लगाना ठीक होता है. इस माह में लगाया गया आंवले का पौधा अच्छी ग्रोथ करता है. इसके लिए जलभराव वाली मिट्टी नहीं होनी चाहिए और पौधा लगाने के लिए एक मीटर गहरा वर्गाकार गड्ढा खोदकर सूरज की रोशनी में 15-20 दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए.इसके बाद मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए गोबर खाद कंपोस्ट को मिट्टी के साथ मिश्रित करके पौधे को लगाया जाता है. लगातार पानी देते रहने से थोड़े दिनों बाद में आंवले का पौधा ग्रोथ करने लगेगा. पौधे को कीट, दीमक से बचने के लिए आवश्यक दवा का भी प्रयोग किया जा सकता है.आंवला विटामिन सी का खजाना होता है और इसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी पर्याप्त मात्र होता है. आंवला मुख्य रूप से आंख की रौशनी बढ़ाने वाली औषधि के रूप में काम आता है.डॉक्टर ने आगे कहा कि आंवले के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें वजन कंट्रोल करने, दस्त में फायदेमंद, और कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी होना शामिल है. इसके अलावा, आंवले का उपयोग तंत्र-मंत्र में भी किया जाता है, इसे शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.धार्मिक महत्व के बारे में भी बताया, कहा कि इसका उल्लेख कई हिन्दू ग्रंथों में मिलता है. आंवले के पेड़ को पूजा में शामिल किया जाता है और विशेष रूप से, इसे ब्रह्मा, विष्णु, और शिव से जोड़ा जाता है. आंवला नवमी का पर्व विशेष रूप से आंवले की पूजा के लिए मनाया जाता है.