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ज़ी सिनेमा पर चंदू चैंपियन के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर पर कबीर खान के साथ एक ख़ास चर्चा

मुंबई/ ज़ी सिनेमा इस वीकेंड चंदू चैंपियन के वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर के साथ मुरलीकांत पेटकर का बेमिसाल सफर लेकर आ रहा है – एक ऐसा इंसान जिसने अविश्वसनीय मुश्किलों को पार किया और ऐसी शख्सियत हासिल की जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है! कबीर खान द्वारा निर्देशित और कार्तिक आर्यन की दमदार एक्टिंग वाली यह फिल्म न सिर्फ इंसानी जज़्बे की जीत दर्शाती है बल्कि हौसले की सच्ची कहानियों को भी सलाम करती है। इस मौके पर निर्देशक कबीर खान बताते हैं कि भारत के पहले पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता की कहानी को जीवंत करने के दौरान उन्हें किन-किन अनुभवों से गुजरना पड़ा …

कार्तिक आर्यन हल्के-फुल्के किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं। आपको कैसे लगा कि वो इस रोल के लिए सही हैं?

अगर आप मेरे पूरे करियर को देखें, तो मैं कभी भी किसी एक्टर की खास इमेज के हिसाब से नहीं चलता। मैं एक्टर्स में सिर्फ काबिलियत देखता हूं। और, इस मामले में, मैंने कार्तिक में वो लड़कपन वाला उत्साह देखा जिसकी जरूरत मुरलीकांत पेटकर के किरदार के लिए थी। मैंने कार्तिक में वो भूख भी देखी – कुछ ऐसा करने की भूख जो वो करने के आदी नहीं हैं, जैसे कि एक ऐसे क्षेत्र में कदम रखना जो उनके लिए असहज है, और शरीर बदलाव के सफर से गुजरना। वो अपने बालों के लिए इतने मशहूर थे कि उन्हें अपने बाल कटवाने पड़े और खुद को अलग तरह से पेश करना पड़ा। और, कभी-कभी, जब आप किसी एक्टर में वो उत्साह देखते हैं, तो वह आधी लड़ाई जीत लेने जैसा होता है।

भारत के पहले पैरालम्पिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर एक सच्चे राष्ट्रीय नायक हैं। आपको बड़े पर्दे पर उनकी कहानी दिखाने की प्रेरणा कहां से मिली?

कभी-कभी हम कहानियां नहीं चुनते, कहानियां हमें चुनती हैं। यह एक बहुत ही शानदार कहानी है। और मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि यह मेरे पास आई क्योंकि यह उन सबसे दिलचस्प छिपी कहानियों में से एक है जो आपने कभी नहीं सुनी हैं। हम कभी-कभी अपनी कहानियों को विषयों में बांट देते हैं, जैसे यह एक खेल की कहानी है, यह एक नाटक की कहानी है। असल में, यह एक ऐसे इंसान की अद्भुत कहानी है जिसने हार मानने से इनकार कर दिया और जब आप इसे पढ़ते हैं, तो आप बहुत प्रेरित महसूस करते हैं। मुझे लगा कि यह कहानी इस देश को बताई जानी चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा नायक है जिसे हम पूरी तरह से भूल चुके हैं। और जब आप फिल्म देखते हैं, तो आपको पता चलता है कि इस व्यक्ति ने क्या हासिल किया और कैसे हासिल किया – अगर आप उसका जश्न नहीं मनाते तो यह एक तरह से अपराध होगा।

जब आप युद्ध के दृश्यों को प्रस्तुत कर रहे थे, तब ख़ास तौर पर क्या चुनौतियां थीं?

चंदू चैंपियन में युद्ध के दृश्यों को प्रस्तुत करना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती थी। हम सच्चाई बरकरार रखने और कहानी कहने के बीच संतुलन बनाना चाहते थे। बड़ी मुश्किलों में से एक यह सुनिश्चित करना था कि कहानी के जज़्बात बनाए रखते हुए एक्शन सीक्वेंस वास्तविक लगें। हमें ऐतिहासिक संदर्भ और एक्टर्स की शारीरिक बनावट पर बारीकी से ध्यान देना था। इसके आलावा, मुश्किल कोरियोग्राफी के साथ बड़े पैमाने पर एक्शन दृश्यों को शामिल करने के लिए एक योजना और एक समर्पित क्रू की जरूरत थी। हमें सही माहौल बनाने के लिए स्थानों और सेट डिज़ाइन के मामले में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन कुल मिलाकर, यह इस आदमी की कहानी को सुर्खियों में लाने के बारे में था और हमने इसे बेहतरीन तरीके से किया।

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