छत्तीसगढ़ में सीमेंट की कीमतों में तेजी से इजाफे पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि सीमेंट निर्माताओं के इस कदम पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि प्रति बोरी 50 रुपये बढ़ाने से सड़क, भवन, पुल, स्कूल, कॉलेज और प्रधानमंत्री आवास योजना सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पर असर पड़ेगा। बीजेपी सांसद ने छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार से इस मामले में तुरंत दखल देने का अनुरोध किया है।
सीएम और केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र भेज हस्तक्षेप की मांग
बृजमोहन अग्रवाल ने 6 सितंबर को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) को लिखे पत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा। पत्र में उन्होंने लिखा, “छत्तीसगढ़ खनिज, लोहा, कोयला और ऊर्जा संसाधनों से समृद्ध राज्य होने के बावजूद सीमेंट निर्माताओं ने एक कार्टेल बनाकर 3 सितंबर से कीमतों में भारी वृद्धि कर दी है।”
उन्होंने कहा कि सीमेंट कंपनियों का रवैया छत्तीसगढ़ की भोली-भाली जनता को ‘लूटने’ का हो गया है। सरकार को सीमेंट निर्माताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। राज्य में सीमेंट कंपनियों को खदानें, कोयला, ऊर्जा, सस्ती बिजली और सस्ता श्रम उपलब्ध है, जहां वे सभी संसाधनों का दोहन कर रही हैं।
बीजेपी नेता ने कहा कि कच्चे माल से लेकर ऊर्जा तक, उत्पादन के लिए आवश्यक सभी चीजें उन्हें कम दरों पर उपलब्ध हैं। छत्तीसगढ़ में हर महीने करीब 30 लाख टन (6 करोड़ बोरी) सीमेंट का उत्पादन होता है। 3 सितंबर से पहले प्रति बोरी सीमेंट की कीमत करीब 260 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर करीब 310 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह सरकारी और जनहित परियोजनाओं के लिए सीमेंट अब 260 रुपये प्रति बोरी उपलब्ध होगी, जो पहले 210 रुपये प्रति बोरी थी।अग्रवाल ने कहा कि सीमेंट की कीमतों में 50 रुपये प्रति बोरी की अचानक वृद्धि से सड़क, भवन, पुल, नहर, स्कूल, कॉलेज, आंगनवाड़ी भवन और गरीबों के लिए पीएम आवास योजना सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रभावित होंगी। सभी सरकारी परियोजनाओं की लागत बढ़ जाएगी और गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाना मुश्किल हो जाएगा, जो राज्य और देश के हित में नहीं है। पूर्व राज्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वे सीमेंट कंपनियों की तत्काल बैठक बुलाएं और उनसे मूल्य वृद्धि वापस लेने को कहें, ताकि राज्य के लोगों को राहत मिल सके