👍 *उल्लास भारत का दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रकाश प्रारंभ।*👍
जगदलपुर. राष्ट्रव्यापी उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत जिला बस्तर में शिक्षा से वंचित असाक्षरों को साक्षर करने हेतु कलेक्टर विजय दयाराम के तथा जिला सीईओ प्रकाश सर्वे, जिला शिक्षा अधिकारी बी आर बघेल, डायट प्राचार्य नितिन डंडसेना, साक्षरता जिला परियोजना अधिकारी राकेश कुमार खापर्डे, साक्षरता डीएलसी प्रभारी चंद्रकांत पाणिग्रही के मार्गदर्शन में उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण दिनांक 30 अगस्त को brc भवन बस्तर में शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षण के शुभारंभ में जिला साक्षरता नोडल श्री राकेश खापर्डे, DLC प्रभारी श्री चन्द्रकांत पनिग्राही,बस्तर beo लोकनाथ नाग, brc राजेंद्र ठाकुर की उपस्थिति में हुई । जिले के सभी 7 विकासखंड से 35-35 महिला -पुरुष कुशल प्रशिक्षक उपस्थित हुए।
जिला स्रोत व्यक्ति के रूप में राज्य द्वारा प्रशिक्षित श्रद्धा दीप देवांगन एवं अनंत देवांगन के द्वारा प्रशिक्षण में बताया गया कि उल्लास कार्यक्रम का क्रियान्वयन प्रत्येक ग्राम पंचायत में संचालित साक्षरता केंद्र के स्वयं सेवी शिक्षकों द्वारा असाक्षर व्यक्तियों को 200 घंटे अध्यापन की व्यवस्था संचालित की जानी है। साक्षरता के महत्वपूर्ण पांच घटक – बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान, महत्वपूर्ण जीवन कौशल( डिजिटल साक्षरता, वित्तीय क़ानून,मतदान जागरूकता,) व्यावसायिक कौशल,बुनियादी शिक्षा,सतत शिक्षा पर विस्तृत चर्चा की गयी | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार जन-जन साक्षर करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए स्वयं सेवी शिक्षकों के माध्यम से शिक्षार्थियों तक पहुंचना है।
स्वयं सेवी शिक्षक के रूप में कक्षा दसवीं एवं बारहवीं के अध्यनरत विद्यार्थियों को साक्षरता कार्यक्रम में जुड़कर अध्यापन कार्य करने पर 10 अंक बोनस का प्रावधान है। सभी प्रशिक्षकों द्वारा यह आश्वस्थ किया गया कि उल्लास के दीपक को अनवरत जलाये रखेंगे, एवं इसके प्रकाश को पूरे ग्राम, ब्लॉक,जिला, एवं राज्य में विस्तारित करते रहेंगे। उल्लास कार्यक्रम के तहत साप्ताहिक कार्य योजना को बढ़ चढ़कर करने की विश्वास दिलाया।
प्रथम दिवस के प्रशिक्षण में बस्तर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व ) ए आर राणा द्वारा उल्लास शपथ दिलाया, एवं स्वयं के अनुभव को साझा किया। जिसमें वे स्वयं के संघर्ष एवं शिक्षा के बारे में बताया कि वे किस तरह से संघर्ष करते हुए वर्तमान पद तक पहुंचे। उनके इस आशीर्वचन को प्रशिक्षणार्थी आत्मसात करने का आश्वासन दिया।