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वर्षांत तक टल गया मंत्रिमंडल विस्तार? दो मंत्रियों व विधानसभा उपाध्यक्ष को लेकर भाजपा में खामोशी

रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़ )। छत्तीसगढ़ की साय कैबिनेट का विस्तार वर्षांत में होने वाले नगरीय निकाय के चुनावों तक टाल दिया गया है। ऐसा भाजपा से ही जुड़े हुए लोगों का दावा है। हालांकि दो मंत्रियों व विधानसभा उपाध्यक्ष की रिक्त कुर्सियों को लेकर पार्टी के भीतर खामोशी है। माना जा रहा था कि विधानसभा सत्र से पहले दो मंत्रियों का शपथ ग्रहण हो जाएगा। लेकिन पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप को संसदीय कार्यमंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया। जिससे नए मंत्रियों का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखा। साय कैबिनेट में मंत्री का एक पद नई सरकार बनने के समय से ही खाली है, जबकि दूसरा पद बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद से यह अटकलें लगाई जाती रही कि मंत्रिमंडल में कौन से 2 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। मीडिया इस बाबत् मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल भी करती रही और सीएम साय इसका जवाब पूरी खूबसूरती के साथ टालते भी रहे हैं।

हाल ही में दो बार दिल्ली दौरे पर गए सीएम साय लौटे तो यह माना गया कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मंजूरी दे दी है। बावजूद इसके विस्तार नहीं हो पाया। सवाल यह भी उठे कि आखिर मंत्रिमंडल विस्तार का पेंच कहां फंस रहा है? वैसे तो खाली पड़े मंत्रियों के 2 पदों के लिए आधा दर्जन से ज्यादा नाम सामने आए, लेकिन इन नामों में अजय चंद्राकर व लता उसेंडी के नाम भी शामिल थे। अब यह कहा जा रहा है कि इन दोनों में से किसी को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि इस पद के लिए वरिष्ठ विधायक पुन्नूलाल मोहले का नाम सबसे ऊपर है। वैसे तो मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी के बड़े नेता कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं और इसे मुख्यमंत्री और आलाकमान का विशेषाधिकार बता रहे हैं। लेकिन अंदरखाने चर्चा है कि हाल-फिलहाल नए मंत्रियों की एंट्री बंद ही रहेगी।

भाजपा के ही जानकार मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाने को लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं। किसी का कहना है कि महज दो मंत्री बनाना सीएम के लिए धर्मसंकट की स्थिति है और इसीलिए वे निर्णय नहीं कर पा रहे हैं तो किसी का कहना है कि क्योंकि दावेदारों की भरमार है, इसलिए बहुत सारे चेहरों में महज 2 चेहरे चुनने से अन्य दावेदारों में नाराजगी बढ़ सकती है। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि साय सरकार का कामकाज ठीक-ठाक चल रहा है, इसलिए इसमें फिलहाल छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान कई विधायकों व मंत्रियों का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहा था। ऐसे विधायकों को किसी तरह के लाभ के पद से दूर रखे जाने की चर्चा भी जोरों पर रही। इसके अलावा एक या दो मंत्रियों से इस्तीफा लेने की भी बातें कही जाती रही है। हालांकि यह सब कुछ सिर्फ अटकलों में ही चलता रहा है।

मानसून सत्र तक संभव नहीं
विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से प्रारम्भ होने जा रहा है। इसी वजह से मुख्यमंत्री श्री साय ने संसदीय कार्यमंत्री का प्रभार वरिष्ठ विधायक व मंत्री केदार कश्यप को सौंपा है। इस सत्र में कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए व्यापक व्यूह तैयार किया है, इसलिए सरकार का पूरा ध्यान फिलहाल कांग्रेस के इस चक्रव्यूह को तोडऩे पर केन्द्रित है। ऐसे में इस बात की कोई संभावना नहीं है कि मानसून सत्र से पहले साय सरकार में किसी तरह का मंत्रिमंडल विस्तार होगा। इसके साथ ही विधानसभा उपाध्यक्ष का मामला भी अटक गया है। लोकसभा चुनाव के बाद इस बात की चर्चा थी कि मानसून सत्र के पहले संसदीय कार्य मंत्री की घोषणा और साय मंत्रिमंडल का विस्तार एकसाथ किया जाएगा। इसके लिए वरिष्ठ और नए विधायकों के नामों की चर्चा भी शुरू हो गई थी। इसी तरह विधानसभा उपाध्यक्ष को लेकर भी कई नाम सामने आए थे। लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहा है।

जल्दबाजी में नहीं है सीएम
पार्टी सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। सरकार का कामकाज अपेक्षानुसार चल रहा है, इसलिए नए मंत्रियों की जरूरत फिलहाल महसूस नहीं की जा रही। छत्तीसगढ़ के विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। विधानसभा की कार्यवाही को संचालित करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री की अहम भूमिका होती है, इसलिए कैबिनेट का विस्तार न करते हुए फिलहाल वर्तमान मंत्री को ही प्रभार दिया है। यह पद इससे पहले कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ सदस्य रहे बृजमोहन अग्रवाल के पास था, जिन्होंने सांसद निर्वाचित होने के बाद छोड़ दिया। गौरतलब है कि जो मंत्री पद रिक्त रहता है, उसका प्रभार स्वमेव ही मुख्यमंत्री के पास आ जाता है। सीएम साय के पास पहले से ही काफी सारे विभाग है, ऐसे में उन्होंने विधानसभा सत्र से कुछ पहले एक अन्य वरिष्ठ सहयोगी केदार कश्यप को संसदीय कार्य मंत्रालय का प्रभार सौंप दिया, ताकि विधानसभा का संचालन सुचारू रूप से हो सके।

संघ समर्थित विधायक को तरजीह?
माना जा रहा है कि फिलहाल भले ही मंत्रिमंडल का विस्तार आगे खिसक गया हो, लेकिन जिन्हें भी मंत्री पद के लिए चुना जाएगा, वे संघ समर्थित या उस परिवार से हो सकते हैं। वैसे, पार्टी के भीतरी सूत्रों का साफ कहना है कि मंत्री बनाए जाने वाले दो विधायकों के नामों का चयन कर लिया गया है। इसके अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए भी वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहले का नाम करीब-करीब तय है। इस पद के लिए अजय चंद्राकर व लता उसेंडी का नाम लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि इन दोनों में से किसी एक को मंत्री भी बनाया जा सकता है। वैसे देखा जाए तो राज्य में खाली पड़े मंत्री के 2 पदों के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। वरिष्ठ से लेकर युवा व महिला विधायक भी मंत्री पद की दावेदार हैं। लेकिन क्षेत्रीय संतुलन, सामाजिक व जातीय समीकरण के भी अपने मायने है। इसलिए जिन्हें भी मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा, उसमें इसका ध्यान रखा जाएगा। सनद रहे कि निगम, मंडलों में भी नियुक्तियां होनी है।

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