छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान निर्वाचन आयोग के तेवर देख कर प्रशासनिक महकमा हिल गया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शासनकाल था, इसलिए अफसरों में आशंका तो थी कि कई अफसर नपेंगे। मगर आचार संहिता आचार संहिता प्रभावशील होने के दूसरे दिन ही भारत निर्वाचन आयोग ने दो कलेक्टर, तीन एसपी और एक विशेष सचिव खाद्य को हटा दिया था। इसके साथ ही दो एडिशनल एसपी भी बदले गए थे। जिन कलेक्टरों को हटाया गया था, उनमें बिलासपुर और रायगढ़ के कलेक्टर तथा कोरबा, दुर्ग और राजनांदगांव जिले के एसपी शामिल थे।ज्ञातव्य है, विधानसभा चुनाव के दौरान अफसरशाही में चुनाव आयोग का गजब का खौफ पसर गया था। कलेक्टर, एसपी भगवान से मनाते रहे कि कैसे विधानसभा चुनाव संपन्न हो और चुनाव आयोग की तलवार का दहशत खतम हो। उस समय चुनाव आयोग के फुल बोर्ड ने रायपुर का दौरा किया था। और दिन भर की मीटिंग में कलेक्टर, एसपी को रुला दिया था। फुल बोर्ड अफसरों के साथ बड़ा कड़क अंदाज में पेश आया। हालांकि, पहले झटके में चुनाव आयोग का अफसरों पर गाज गिरी मगर उसके बाद वह कार्रवाई कौवा मारकर टांगने वाली ही रही। क्योंकि, निर्वाचन आयोग फिर पलटकर छत्तीसगढ़ तरफ नहीं देखा।
इस बार लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान होने के बाद करीब हफ्ता भर निकल गया है। मगर अभी चुनाव आयोग की तरफ से कोई संकेत नहीं है। जल्द चुनाव आयोग के अफसरों का छत्तीसगढ़ दौरा होने वाला है। लोकसभा चुनाव चूकि पूरे देश में होता है इसलिए फुल बोर्ड तो इस बार शायद ही आए, चुनाव आयुक्त जरूर छत्तीसगढ़ आने वाले हैं। नक्सल स्टेट होने की वजह से छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग की प्रायरिटी में रहता है।
बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं
छत्तीसगढ़ में इस बार चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं है। उसकी वजह यह है कि छत्तीसगढ़ का सियासी समीकरण बदल चुका है। सरकार के गठन का भी अभी तीन महीने हुए हैं। इतनी जल्दी न कोई अफसर सरकार के क्लोज होता है और न ही उस पर कोई सियासी लेवल लगता है। इसलिए, सरकार से बेहद नजदीकियों का सवाल नहीं उठता। फिर अधिकांश कलेक्टर, एसपी दो-एक महीने के भीतर पोस्ट हुए हैं लिहाजा उनके खिलाफ शिकायत का अभी कोई ठोस आधार भी विपक्ष को नहीं मिलेगा। अब कोई हिट विकेट हो जाए या पोस्टिंग में त्रुटियों की वजह से कोई अफसर हट जाएं, तो बात अलग है।