गोरखपुर : डिप्टी एसपी से सिपाही बनाए जाने के बाद तैनाती की जगह से गैरहाजिर होने के कारण कृपाशंकर कनौजिया को एक और विभागीय एक्शन का सामना करना पड़ सकता है. कनौजिया को शनिवार को गोरखपुर पीएसी 26वीं बटालियन के एफ दल में रिपोर्ट करना था. शनिवार को वे वहां नहीं पहुंचे. पुलिस और पीएसी में बगैर पूर्व सूचना के गैरहाजिर रहने वाले कर्मियों के बारे में रपट गैरहाजिरी लिखनी होती है. इसके बाद विभाग कर्मी के बारे और जानकारी करके आगे की कार्रवाई करता है.दरअसल, पीएसी और रिजर्व पुलिस लाइन में हाजिरी बनाने का पारंपरिक तरीका गणना कहलाता है. बताया जाता रहा है कि शनिवार की गणना में इन्हें गैरहाजिर पाया गया. लिहाजा रपट गैरहाजिरी लिख दी गई है. रपट गैरहाजिरी का अर्थ होता है बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित होना. वैसे सिपाही और डिप्टी कमांडेट या डिप्टी एसपी के पद में बहुत बड़ा फर्क होता है. डिप्टी वाले दोनों ओहदे गजेटेड यानी राजपत्रित होते हैं. राज्य सरकार के राजपत्र यानि गजेट में इनके बारे में जिक्र होता है. वास्तव में यही ऑफिसर भी होते हैं. हालांकि पुलिस महकमे में काम की सुविधा के लिए अराजपत्रित अधिकारी या नॉनगजेटेड ऑफिसर की शुरुआत सब इंस्पेक्टर से ही हो जाती है.बहरहाल, बात कनौजिया की है तो यहां बता देना उचित होगा कि डिप्टी एसपी के तौर पर उन्हें एक सरकारी वाहन, एक या अधिक सहायक, गनर और खाना बनाने के लिए फॉलोअर जैसी सुविधाएं मिलती रही होंगी. फॉलोअर को छोड़कर इनमें से सभी सिपाही या उससे ऊपर के स्तर के ही होते हैं. अब उन्हें सिपाही के तौर पर ही फिर से विभाग में तैनाती दी गई है. इस लिहाज से उनके लिए कामकाज कर पाना आसान नहीं होगा.साथ ही ये भी महत्वपूर्ण है कि कनौजिया 1986 में सिपाही बने थे. फिर उन्होंने परीक्षा पास करके सब इंस्पेक्टर का ओहदा हासिल किया. सब इंस्पेक्टर से वे इंस्पेक्टर बने और फिर डिप्टी एसपी. इसका अर्थ है कि वे कम से कम दो दशक से ज्यादा वक्त से अफसर के तौर पर ही काम करते रहे हैं. अब उनके लिए फिर से सिपाही के तौर पर हुक्म बजाना बहुत ही मुश्किल होगा. कनौजिया को लेकर सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग चर्चाएं चल रही हैं. कुछ लोग इस दंड को बहुत कठोर बता रहे हैं, तो कुछ लोग इसे जातिवाद का नतीजा भी कह रहे हैं.
पुरानी व्यवस्था में गजेटेड अफसर को ही सरकारों ने किसी दस्तावेज को प्रमाणित करने के अख्तियार होते हैं. इसके अलावा कुछ विशेष मामलों की जांच करने के लिए अधिकृत किया था. जांच के बारे में कहा जाए तो बहुत सारे कानून ऐसे हैं, जिनमें जांच का अख्तियार सिर्फ गजेटेड अधिकारी यानी डिप्टी एसपी स्तर के पुलिस वाले को ही होता है. इन सबके बीच नौकरी के आखिरी चरण में कनौजिया के लिए कठिनाई बढ़ी ही हैं. ये भी बताया जा रहा है कि सोमवार की गणना में भी वे अगर उपस्थित नहीं हुए तो फिर रपट गैरहाजिरी लिखी जाएगी. बताने की जरूरत नहीं है कि कनौजिया को ये सजा घर जाने के लिए छुट्टी लेकर कानपुर में एक महिला सिपाही के साथ रंगरेलियां मनाते पकड़े जाने पर दी गई है. उस समय उनका फोन न मिलने पर पत्नी ने उनकी तैनाती की जगह उन्नाव के एसपी से मदद मांगी थी. एसपी ने जब फोन की ट्रेकिंग कराई तो वो कानपुर में मिले और पकड़े गए. उसके बाद विभागीय जांच शुरु हुई और उन्हें निलंबित करके गोरखपुर पीएसी से अटैच किया गया था. 18 जून को उन्हें सिपाही के तौर पर 26वीं बटालियन पीएसी के एफ दल में ज्वाइन करने के आदेश जारी किए गए थे.
कमांडेंट आनंद कुमार का कहना है कि शासन के आदेश के अनुसार कनौजिया को सिपाही के तौर पर ज्वॉइन करा दिया गया है. अब वह गैर हाजिर हैं और उनके लौटने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.