छत्तीसगढ़

जाति प्रमाण पत्र को लेकर डिप्‍टी सीएम का बड़ा बयान: बोले- राज्‍य सरकार कराएगी जांच…

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में बीते 5 वर्षों यानी कांग्रेस सरकार के दौरान जारी हर एक जाति प्रमाण पत्र को फिर से वैरिफाइ किया जाएगा। जाति प्रमाण पत्र निरस्‍त करने के कोलकाता हाईकोर्ट फैसले के बाद यह बात राज्‍य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कही है। उन्‍होंने कहा कि जिस धर्म में जाति की व्यवस्था नहीं है वहा आप जाति की व्यवस्था कैसे कर सकते हैं । छत्तीसगढ़ में विगत 5 वर्ष में नगरी निकाय में बड़ी संख्या में ये प्रमाण पत्र बनाए गए हैं उनकी जांच की जाएगी

बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल में 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को निरस्‍त करने का आदेश दिया है। बंगाल सरकार ने वहां के मुस्‍लमानों को ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए दो दिन पहले हाईकोर्ट ने 2010 के बाद जारी ओबीसी के सभी जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट के इस फैसले का बीजेपी ने स्‍वागत किया है। कोर्ट के इसी फैसले पर जब मीडिया ने डिप्‍टी सीएम और गृह मंत्री शर्मा ने सवाल किया तो उन्‍होंने राज्‍य में भी कांग्रेस सरकार के दौरान जारी जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराने की बात कही है। बताते चले कि शर्मा कवर्धा विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान कवर्धा में रोहिंग्‍या मुस्‍लमानों को अवैध रुप से बसाए जाने का मुद्दा काफी गरम था। इस मामले में शर्मा बेहद मुखर थे।

सीएम साय ने भी किया है कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले का स्‍वागत

धर्म आधारित आरक्षण पर कोलकाता उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। यह धर्म आधारित वोटबैंक की राजनीति करने वालों, तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है। यह कहना है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन लगातार संविधान की हत्या की साज़िश कर रही है। हम सभी जानते हैं कि धर्म आधारित आरक्षण का भारतीय संविधान में कोई स्थान नहीं है। कल कलकत्ता उच्च न्यायालय का इससे संबंधित एक फ़ैसला आया है जिसमें कोर्ट ने 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी धर्म आधारित ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया है। यह देश के ओबीसी, आदिवासी और तमाम पिछड़े समाजों के लिए बड़ा फ़ैसला है। सीएम साय ने कहा कि ये फैसले बताते हैं कि ममता बनर्जी की सरकार गैर-संवैधानिक तरीके से, तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ा रही थी। इंडी गठबंधन केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण लगातार आदिवासियों, पिछड़ों के हक़ पर डाका डाल रही है, उनका अधिकार छीन कर मुसलमानों को देना चाहती है, इसकी जितनी निंदा की जाय वह कम है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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