हिंदू धर्म में रोजाना पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व होता है। पूजा के कुछ जरूरी नियम हमारे आध्यात्मिक जीवन को मजबूत करते हैं। अक्सर लोग पूजा करते हैं, लेकिन कुछ बुनियादी बातों को या तो नहीं जानते या अनदेखा कर देते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान अनुशासन और पवित्रता अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है।
नवजात के जन्म के बाद मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए
अगर घर में किसी नवजात का जन्म हुआ है, तो कुछ समय तक पूजा-स्थान की मूर्तियों को छूने से परहेज करना चाहिए। माना जाता है कि जन्म के कुछ दिनों तक घर का वातावरण सूक्ष्म रूप से परिवर्तित रहता है और ऐसे समय में मूर्ति-विसर्जन, स्पर्श या बड़े अनुष्ठानों से बचने की सलाह दी जाती है। पूजा की भावना बनी रह सकती है, पर मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित माना गया है।
भगवान को टीका अनामिका उंगली से लगाएं
धर्म शास्त्रों में अनामिका (रिंग फिंगर) को देवकार्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है। जब भी आप भगवान को रोली, चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं, अनामिका उंगली का ही प्रयोग करें।अनामिका उंगली का संबंध सूर्य ऊर्जा से बताया गया है, जिससे श्रद्धा और पवित्रता का भाव मजबूत होता है। पूजा के दौरान इसका उपयोग शुभ फल बढ़ाने वाला माना गया है।
पूजा पूरी होने के बाद आरती हमेशा खड़े होकर करें
कई लोग बैठकर भी आरती कर लेते हैं, लेकिन धर्मशास्त्रों में आरती सदैव खड़े होकर करने का नियम वर्णित है। आरती, पूजा का वह भाग है जिसमें हम भगवान की ऊर्जा को अपने और पूरे घर में फैलने का निमंत्रण देते हैं। आरती के बाद थाली के चारों ओर जल घुमाकर उसे सब दिशाओं में छिड़कना चाहिए, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वातावरण शुद्ध होता है।
पूजा-स्थान में सफाई रखें
पूजा घर वह स्थान है जहां मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति विकसित होती है। इसलिए वहां धूल, अव्यवस्था, टूटी मूर्तियां, पुराने फूल या अस्थायी सामान न रखें। मंदिर में नियमित सफाई करना शुभ माना जाता है। साथ ही, पूजा-स्थान में बैठते समय कपड़ों का साफ और सुसंस्कृत होना भी आवश्यक है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।





