भारत के मशहूर उद्योगपति खानदान में से एक बिड़ला परिवार किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इसमें यश बिड़ला ग्रुप भी अपनी काबिलियत की वजह से जाना जाता है। ग्रुप के चेयरमैन और कुमार मंगलम बिड़ला के चचेरे भाई यशोवर्धन बिड़ला 3000 हजार करोड़ का बिजनेस चला रहे हैं। यश अपने समूह के युवा वारिस हैं। दुखद विमान दुर्घटना में माता-पिता को खोने के बाद 23 साल की उम्र में कारोबार की जिम्मेदारी संभाल ली थी।यश बिड़ला ने न केवल कंपनी को संभाला, बल्कि उसे और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यशोवर्धन बिड़ला के पास कई शानदार चीजें हैं, लेकिन मुंबई के मालाबार हिल्स में स्थित उनका आलीशान बंगला ‘बिड़ला हाउस’ उनकी सबसे कीमती चीजों में से एक है। 100 साल पुरानी हवेली ऐतिहासिक होने के साथ ही अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है। जिसकी तस्वीरें आपको किसी महल से कम नहीं लगेंगी और अंबानी हाउस को भी फेल कर देंगी।दरअसल ‘मैशेबल इंडिया’ के एक शो ‘गेट क्रैशिस’ में यशोवर्धन बिड़ला ने अपने बंगले की झलक दिखाई थी। बिड़ला हाउस लगभग 5,412 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इसे यशोवर्धन के परदादा रमेश्वर दास ने 1930 के दशक में बनवाया था। बंगला मुंबई के सबसे महंगे इलाकों में से एक, मालाबार हिल्स में स्थित है।
घर के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की पौराणिक पेंटिंग्स हैं। दोनों तरफ बड़े-बड़े पिलर और मूर्तियां लगी हैं। प्रवेश द्वार को कई पुरानी कलाकृतियों और पौधों से सजाया गया है। इस घर की पहली झलक ही महल जैसा दीदार कराती है।बिड़ला हाउस के हर कोने में पुरानी मूर्तियां और कलाकृतियां दिखती हैं। खासकर घर के प्रवेश द्वार और मुख्य गलियारों में। यहां तक कि दरवाजों की नक्काशी ठीक उसी तरह है जैसे कि प्राचीन मंदिरों में देखने को मिलती है। भगवान की मूर्ति को बनाया गया है। जो दिखाता है कि घर केवल एक निवास नहीं, बल्कि कला का एक संग्रहालय भी है।वीडियो में यश बिड़ला ने घर का खास कमरा दिखाया है। जो कई भारतीय नेताओं की तस्वीरों और यादों से भरा है। यश ने बताया कि उनका 100 साल पुराना परदादा ने बनवाया था जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे। तभी, उस समय के कई बड़े नेताओं के साथ इस कमरे में ही मुलाकात होती थी।
आज भी यह कमरा खास है, क्योंकि परिवार यहां सत्संग और पूजा करता है। यश का मानना है कि यह कमरा आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। कमरे का फर्श कालीन वाला है और यहां 90 साल पुराने सोफे रखे हैं, जिनपर बैठकर गांधी जी रणनीति बनाया करते थे। कमरे की दीवारों पर उनकी दादी गोपीकुमारी बिड़ला, पिता अशोक बिड़ला, मां सुनंदा बिड़ला और बहन सुजाता बिड़ला की तस्वीरें फ्रेम करके लगाई गई हैं।बिड़ला हाउस में गहरे रंग का, नक्काशीदार और पारंपरिक लकड़ी का भारी फर्नीचर है। लिविंग रूम और डाइनिंग रूम में रखे सोफे, कुर्सियां और मेजें एक पुरानी, शाही विरासत को दिखाती हैं। जबकि दीवारों पर फ्रेम की हुई पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें बड़ी संख्या में लगी हैं। इनमें पारिवारिक सदस्यों के साथ-साथ कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं, जो घर के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े इतिहास को साबित करती हैं।फर्श पर गहरे लाल, भूरे और सुनहरे रंग के, पारंपरिक डिजाइन वाले मोटे कालीन बिछे हुए हैं। जो ना केवल फर्श को कवर करते हैं, बल्कि घर की सजावट में गर्माहट और क्लासिक टच भी जोड़ते हैं। सीढ़ियों के पास वाली दीवार को फोटो गैलरी की तरह सजाया गया है। जहां छोटे-बड़े फ्रेम में तस्वीरों के अलावा पेंटिंग्स भी नहीं हुईं है। जबकि डार्क लकड़ी की सीढ़ियां रॉयल हाउस की पहचान को बताती हैं।यह खास कमरा एक गलियारे की तरफ जाता है, जहां पर भी कई कलाकृतियाँ और पेंटिंग्स दिखाई देती हैं। गलियारा आगे चलकर घर के लिविंग रूम में खुलता है। जो बड़े कांच की दरवाजों से आती प्राकृतिक धूप से जगमगाता रहता है। यहां बड़े झूमर, पारंपरिक लकड़ी का फर्नीचर और बेंत की सीटें हैं, जो पुराने समय के आकर्षण को बनाए रखती हैं।यश ने इस कमरे के बारे में एक बेहद दिलचस्प बात बताई कि इस जगह का इस्तेमाल महात्मा गांधी करते थे। इतना ही नहीं, यह वही जगह है जहां भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी अंतिम साँस ली थी। यहां कि एक दीवार को पुरानी यादों से ही सजाया गया है। जबकि दूसरी दीवार पर फैशन और कंटेम्पररी आर्ट को लेकर यश बिड़ला का प्यार देखने को मिलता है।फर्श पर बिछे पारंपरिक, गहरे लाल रंग के कालीन इस जगह को एक शाही और ऐतिहासिक लुक दे रहे हैं। यहां हरे-नीले रंग के कांच और सुनहरे पीतल से बने एक चमकदार स्तंभ भी हैं। जो कमरे की पुरानी और क्लासिक थीम के बीच मॉर्डन टच जोड़ता है।
जबकि दरवाजे के पास ऊंचा, नक्काशीदार, विंटेज दर्पण रखा हुआ है। इसके नीचे एक छोटा सा संगमरमर का मेज है, जिस पर खूबसूरत छोटा पौधा रखा है, जो घर के अंदर हरियाली का स्पर्श देता है।डिस्क्लेमर: इस लेख में किए गए दावे यूट्यूब वीडियो और इंटरनेट पर मिली जानकारी पर आधारित हैं। जगन्नाथ डॉट कॉम इसकी सत्यता और सटीकता जिम्मेदारी नहीं लेता है।




