भारतीय रेलवे की गिनती दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में की जाती है। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि भारतीय रेलवे आज दुनिया भर में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। करोड़ों यात्रियों को एक दिन में गंतव्य तक पहुंचाने वाला रेलवे अपने यात्रियों का खास ख्याल रखता है और यही वजह है कि वो उनको कई तरह की सुविधाएं प्रदान करता है। हालांकि, कई बार यात्री रेलवे से मिलने वाली सुविधाओं का नाजायज़ फायदा उठाते हुए देखे जाते हैं, जिसमें चादर-तकिया और कंबल चुराना सबसे कॉमन है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि यात्रियों की इस लापरवाही का नतीजा किसे भुगतना पड़ता है ? आज हम आपको बताते हैं कि, ट्रेन से चादर-तकिया और कंबल चोरी करने पर जुर्माना कौन भरता है :
रेलवे का नियम जानें
भारतीय रेलवे ने रेल संपत्ति की चोरी पर अलग-अलग प्रावधान किए हैं। रेलवे नियमों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति किसी रेलवे संपत्ति के कब्जे में पाया जाता है या यह साबित हो जाता है कि उसके पास बरामद सामान अवैध रूप से प्राप्त किया गया था वह तब तक दंडनीय होगा जब तक कि यह साबित नहीं कर देता कि रेलवे संपत्ति उसके कब्जे में वैध रूप से आई थी। ऐसे कृत्य अपराध की श्रेणी में गिने जाएंगे और इनके लिए तीन से पांच साल की जेल या जुर्माना, या दोनों दंडों का प्रावधान है।
चादर-तकिया और कंबल चुराने पर जुर्माना
यदि कोई यात्री ट्रेन में मिलने वाले चादर-तकिया या कंबल को चुराता है तो इसके लिए भी रेलवे का एक नियम है। रेलवे संपत्ति अधिनियम, 1966 के तहत यदि कोई यात्री ऐसा करते हुए पकड़ा गया तो उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना और न भरने पर एक साल तक की जेल का प्रावधान है। पहली बार पकड़े जाने पर कम से कम 1 साल की जेल या ₹1000 तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं, और बार-बार पकड़े जाने पर सजा बढ़कर 5 साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। यात्रियों को चाहिए कि वे इस्तेमाल के बाद चादर और तौलिया जैसी चीजें अपनी सीट पर ही छोड़ दें या अटेंडेंट को वापस कर दें।
कौन भरता है जुर्माना
प्राय: ऐसा होता है कि यात्री चादर-तकिया और कंबल चुराने में कामयाब हो जाते हैं। रेलवे के जुर्माने संबंधी नियम तभी प्रभावी हो सकेंगे जब यात्री को रंगे हाथ पकड़ा जा सके। हर बार रेलवे प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने में सफल ही हो ये जरूरी नहीं। कई लोग ये दावा करते हैं कि, अगर कोई यात्री ऐसा करते नहीं पकड़ा जाता है तो रेलवे कोच अटेंडेंट से भी जुर्माना वसूल सकता है मगर इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है। कई मामलों में गलती का जिम्मेदार साबित नहीं हो पाता है यानी ये नहीं पता चलता कि चोरी किसकी गलती या लापरवाही से हुई है। यही वजह है कि रेलवे द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। यदि लापरवाह व्यक्ति मिल जाता है तो रेलवे द्वारा प्रत्यक्ष कार्रवाई की जा सकती है।
नोट: इस खबर में दी गई जानकारी रिपोर्ट्स पर आधारित है। जगन्नाथ डॉट कॉम किसी भी प्रकार के दावे की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है





