महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण सुधार की दिशा में जिले में उल्लेखनीय उपलब्धि
महिला एवं बाल विकास विभाग के लगातार प्रयासों से कुपोषण की दर में लगातार कमी, 16 प्रतिशत तक पहुंची
कुपोषण ही नहीं बल्कि अनौपचारिक शिक्षा की दिशा में भी आंगनबाड़ी केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका
महासमुंद 30 सितम्बर 2025/ राज्य गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने जा रहा है, इस अवसर पर रजत जयंती महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। बीते वर्षों में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण स्तर को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा हैं। जिसके परिणामस्वरूप जिले में इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। पिछले 8 वर्षों में कुपोषण की दर में लगातार कमी देखी जा रही है। जहां वर्ष 2017-18 में 33.18 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे। वहीं 2024-25 की स्थिति में घटकर लगभग आधी रह गई है
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री टिकवेन्द्र जटवार ने बताया कि विभाग के मूल दायित्वों की पूर्ति हेतु आंगनबाड़ियों के माध्यम से टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, संदर्भ सेवाएँ, पूरक पोषण आहार, स्वास्थ्य व पोषण शिक्षा तथा शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा जैसी छह प्रमुख सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।
सर्वसुविधा युक्त आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए संजीवनी आंगनबाड़ी कार्यक्रम संचालित है, जिसके तहत भवनों में शौचालय, पेयजल, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, कूलर, टीवी आदि की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही बच्चों व गर्भवती महिलाओं के वजन व ऊँचाई मापन के लिए इलेक्ट्रॉनिक व सॉल्टर वजन मशीन, इन्फेंटोमीटर व स्टेडियोमीटर उपलब्ध कराए गए हैं। महिला एवं बच्चों के साथ किशोरियों को भी शामिल करते हुए टेक होम राशन (रेडी टू ईट) उपलब्ध कराया जा रहा है। पोषण स्तर में सुधार के लिए अमृत दूध योजना, गर्म पका भोजन वितरण, सुपोषण चैपाल, पोषण वाटि�