आजमगढ़ : मौसम बदलने का असर दुधारू पशुओं पर सीधा पड़ता है. ठंड और बारिश के दिनों में तापमान गिरने से उनके शरीर की ऊर्जा संतुलन पर असर होता है, जिससे दूध का उत्पादन घटने लगता है. नमी और ठंड से पशु अक्सर बीमार भी पड़ जाते हैं. ऐसे समय में पशुओं को गर्म और सूखा स्थान देना, पौष्टिक आहार और पर्याप्त स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना जरूरी होता है. साथ ही समय-समय पर टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच भी जरूरी है. उचित देखभाल से न केवल पशु स्वस्थ रहते हैं बल्कि दूध उत्पादन भी स्थिर बना रहता है, जिससे किसान की आमदनी प्रभावित नहीं होती.
बदलते मौसम में दुधारू पशुओं का खास ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि ठंड और बारिश में उनका दूध उत्पादन घटने लगता है. ऐसे समय में पशुओं को संतुलित आहार दें जिसमें हरा चारा, सूखी घास, दाना और मिनरल मिक्सचर शामिल हो. उन्हें सूखे और गर्म स्थान पर रखें ताकि ठंड और नमी का असर न हो. साफ और हल्का गुनगुना पानी उपलब्ध कराएं. साथ ही समय-समय पर टीकाकरण और कृमिनाशक दवा जरूर दें. साथ ही आप कुछ देसी उपाय कर सकते हैं. इन उपायों से पशु स्वस्थ रहेंगे और बदलते मौसम में भी दूध की मात्रा बनी रहेगी.
7 चीजों का चमत्कारिक मिश्रण
किचन में मौजूद चीजों से तैयार होने वाला यह नुस्खा पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है और दूध उत्पादन बढ़ाने में भी कारगर होता है. इस देसी नुस्खे को तैयार करने के लिए हमें मेथी दाना, सौंफ, अजवाइन, काला नमक, आंवला पाउडर, हल्दी और गुड़ की आवश्यकता होती है. सबसे पहले मेथी, सौंफ और अजवाइन को हल्का सा भून लें. फिर उन्हें ठंडा होने के बाद पीसकर पाउडर तैयार कर लें. इसमें आंवला पाउडर, काला नमक और हल्दी पाउडर मिलाकर गुड़ के छोटे-छोटे टुकड़े डाल दें और अच्छी तरह से मिला लें. इसे किसी डिब्बे में बंद करके रख लें.इस तरह से करें उपयोग
हर दिन सुबह और शाम खाने के बाद एक बड़ा चम्मच मिश्रण अपने पशु को खिलाएं. आप चाहें तो इसे चोकर या गुड़ में मिलाकर भी खिला सकते हैं. इस मिश्रण के सेवन से 3 से 7 दिन के भीतर ही पशुओं में इसका असर दिखाई देने लगेगा. इससे उनकी भूख भी बढ़ेगी और पाचन प्रक्रिया भी ठीक होगी, जिससे दूध उत्पादन बढ़ सकेगा.पशुओं में गैस की समस्या भी होगी खत्म
गौरतलब है कि मेथी और सौंफ पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में कारगर होते हैं. इसके अलावा अजवाइन गैस जैसी समस्या को दूर करता है. आंवला का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और पशुओं के शरीर को ताकत देता है. इसके अलावा, पशुओं को रखने के स्थान में भी बदलाव करना आवश्यक होता है.