उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया के बाद एक बड़ा फ्रॉड सामने आया है। केरल के एक शख्स ने 22 सांसदों के नकली साइन की बदौलत नामांकन दाखिल कर दिया। हालांकि बाद में सच सामने आ गया और उसका नामांकन रद्द कर दिया गया। जैकब जोसेफ नाम के शख्स ने 22 लोकसभा सांसदों के समर्थन का दावा किया था। बाद में पता चला कि जिन सांसदों के नाम का जिक्र उसने किया है, उन्हें जैकब के बारे में कुछ पता ही नहीं है।कई सांसदों ने पुष्टि की है कि उन्होंने जैकब के नामांकन पत्र पर साइन नहीं किए। बता दें कि उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त थी। कुल 46 प्रत्याशियों ने 68 नामांकन पत्र दाखिल किए थे। इनमें से शुरुाती चरण में ही 28 के नामांकन रद्द कर दिए गए। बाकी 27 कैंडिडेट्स के 40 नामंकनों की स्क्रूटनी 22 अगस्त को की गई।
स्क्रूटनी के बाद केव दो प्रत्याशियों के चार नामांकन पत्रों को ही सही पाया गया। ये दोनों नामांकन एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के हैं। वहीं जैकब जोसेफ नाम के शख्स का नामांकन पत्र चर्चा का विषय बन गया। पता चला कि बिना सांसदों की जानकारी के ही नामांकन पत्र पर नकली साइन बना लिए गए थे।
शक की सूई तब घूमी जब नामांकन पत्र में वाईएसआरसीपी सांसद मिधुन रेड्डी के भी साइन देखे गए। हालांकि रेड्डी इस वक्त जेल में हैं। मामला राज्य सभा के सेक्रेटरी के सामने लाया गया। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होनी है, इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। बता दें कि 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पूर्व राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया था। अब चुनाव आयोग उपराष्ट्रपति चुनाव करवाने जा रहा है। 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है। इसी दिन परिणाम भी घोषित किए जाएंगे।
जैसे हिटलर कर दे यहूदियों का सम्मान, सबरीमाला में एमके स्टालिन के न्योते पर BJP का तंज
उन्होंने आरोप लगाया कि ये सभी कदम वोट बैंक को खुश करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं। चंद्रशेखर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और द्रमुक जैसी ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों का सबरीमला कार्यक्रम में जाना उतना ही अवास्तविक है जितना कि हिटलर का यहूदियों का सम्मान करना। ये उतना ही अवास्तविक है जैसे राहुल गांधी सच बोल रहे हैं, ओसामा बिन लादेन शांति का दूत बन रहा है, हमास/जमात इस्लामी अन्य धर्मों के लोगों का सम्मान कर रहा है, कांग्रेस/इंडिया गठबंधन वंशवाद और भ्रष्टाचार को त्याग रहा है। ’’
चंद्रशेखर ने कहा कि देश के लोग, विशेषकर केरलवासी और तमिल, जानते हैं कि यह केवल चुनाव के समय ‘लोगों को मूर्ख’’ बनाने की रणनीति है।
ED ने मारी रेड तो दीवार फांदकर भागने लगे ममता बनर्जी के MLA, नाले में फेंका फोन; फिर यूं हुए अरेस्ट
छापेमारी के वीडियो और तस्वीरों में विधायक जीबन कृष्ण साहा को भीगते हुए दिखाया गया है, जिसे ईडी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अधिकारी उस क्षेत्र से ले जा रहे हैं, जहां चारों ओर पेड़-पौधे और कूड़ा-कचरा पड़ा हुआ है।प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पश्चिम बंगाल में स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में छापेमारी के बाद सोमवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक (TMC MLA) जीवन कृष्ण साहा को गिरफ्तार कर लिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में विधायक के आवास पर ली गई तलाशी के बाद उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसी ने हिरासत में ले लिया।
TMC-SP के बाद उद्धव गुट का भी विपक्ष को झटका, PM-CM हटाने वाले बिल पर JPC का बहिष्कार
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद अब शिवसेना उद्धव गुट ने भी पीएम-सीएम को हटाने वाले विधेयक को लेकर गठित की जा रही जेपीसी का बहिष्कार किया है। संजय राउत ने इसे कोरी नौटंकी करार दिया है।प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की गिरफ्तारी और 30 दिनों तक जेल में रहने पर पद से बर्खास्त करने वाले विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेजने के प्रस्ताव को झटका लगा है। विपक्षी पार्टियों में इस समिति को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी इस समिति से किनारा कर लिया है। उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे इस बिल को लोकतंत्र को कुचलकर आगे बढ़ाने का आरोप लगाया।
संजय कुमार को गलत चुनावी डेटा पर सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, पुलिस केस पर लगा दी रोक
चुनाव विश्लेषक संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज पुलिस केस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। सीएसडीएस से जुड़े संजय कुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर एक दावा किया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था। हालांकि वह डेटा गलत पाया गया और संजय कुमार ने माफी मांगते हुए उस ट्वीट को ही डिलीट कर दिया, जिसमें वह दावा किया गया था। संजय कुमार के ट्वीट को आधार मानते हुए विपक्षी दलों की ओर से विरोध भी चल रहा है, लेकिन अब उनकी ओर से ही माफी मांगे जाने से चीजें काफी बदल गई हैं। यही नहीं महाराष्ट्र में उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो गई और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है।इस तरह शीर्ष अदालत ने लोकनीति-CSDS के सह-निदेशक संजय कुमार के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज सभी FIRs पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई उस विवाद के बाद हुई जिसमें संजय कुमार ने महाराष्ट्र की कुछ विधानसभा सीटों में मतदाता सूची में भारी बदलाव (जोड़-घटाव) का दावा किया था, जिसे बाद में उन्होंने ‘डेटा मिसरीडिंग’ यानी डेटा पढ़ने में गलती मानते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उनके खिलाफ एक केस तो नागपुर जिले के रामटेक पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था।आरोप था कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर दो विधानसभा क्षेत्रों — रामटेक और देवला — में 2024 लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाता संख्या में भारी गिरावट का दावा किया था। उनके अनुसार, रामटेक में मतदाता संख्या 4,66,203 से घटकर 2,86,931 (38.45% की गिरावट) और देवला में 4,56,072 से 2,88,141 (36.82% की गिरावट) हो गई थी। हालांकि, बाद में संजय कुमार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए ट्वीट डिलीट किया और सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में पोस्ट किए गए ट्वीट्स के लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं। डेटा की तुलना में गलती हुई थी। हमारी डेटा टीम ने रो में डेटा को गलत पढ़ा। ट्वीट हटा दिया गया है। मेरा उद्देश्य किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाना नहीं था।’ पुलिस ने संजय कुमार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें धारा 175, 353(1)(B), 212, 340(1)(2) शामिल हैं।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य को किसने दिया था गिरिधर नाम, कैसे दो महीने की उम्र में छिनी आंखों की रोशनी
रामभद्राचार्य शास्त्रों की अच्छी जानकारी रखते हैं और राम मंदिर मामले में उन्होंने अदालत में भी पक्ष रखा था। शास्त्रों के आधार पर दी गई उनकी जानकारी को कोर्ट ने भी महत्व दिया था। रामभद्राचार्य का जितना सार्वजनिक जीवन चर्चा में रहा है, उतनी चर्चा कभी निजी जिंदगी की नहीं रही।जगद्गुरु रामभद्राचार्य को रामचरितमानस का मर्मज्ञ माना जाता है। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री खुद को उनका शिष्य बताते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी से भी रामभद्राचार्य के अच्छे रिश्ते हैं। किंतु कई बार उनकी बातों से विवाद भी पैदा हुए हैं। कुछ ब्राह्मण उपजातियों को कमतर बताने का विषय हो या फिर प्रेमानंद महाराज पर निजी हमला बोलना। ऐसे मामलों के चलते रामभद्राचार्य विवादों में भी घिरे हैं। हालांकि यह भी सच है कि रामभद्राचार्य शास्त्रों की अच्छी जानकारी रखते हैं और राम मंदिर मामले में उन्होंने अदालत में भी पक्ष रखा था। शास्त्रों के आधार पर दी गई उनकी जानकारी को कोर्ट ने भी महत्व दिया था।रामभद्राचार्य का जितना सार्वजनिक जीवन चर्चा में रहा है, उतनी चर्चा कभी निजी जिंदगी की नहीं रही। आजीवन ब्रह्मचारी रहने का व्रत लेने वाले रामभद्राचार्य का जन्म यूपी के ही जौनपुर के एक गांव शांदीखुर्द में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित राजदेव मिश्र था और मां का नाम शशि देवी मिश्रा था। उन्हें बचपन में परिवार से गिरिधर नाम मिला था। यह नाम उनके रिश्ते के एक बाबा ने दिया था, जो उनके दादा के चचेरे भाई लगते थे। वह मीराबाई के अनन्य भक्त थे और नवजात बच्चे का नाम उन्होंने भगवान कृष्ण पर रख दिया।उनका जन्म 14 जनवरी, 1950 को मकर संक्रांति के दिन हुआ था। उन्हें प्रारंभिक शिक्षा उनके दादा सूर्य बली मिश्र ने ही दी थी। किंतु उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव जन्म के महज दो महीने के बाद ही आ गया था। इसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल दी। दो माह के बालक गिरिधर को ट्रेकोमा नामक आंखों की बीमारी हो गई थी। उनकी आंखों की रोशनी इसके चलते खत्म हो गई थी। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने रामचरित मानस से लेकर तमाम ग्रंथों को कंठस्थ किया। आज उनकी ख्याति रामचरितमानस मर्मज्ञ के तौर पर है। दिलचस्प दावा किया जाता है कि रामभद्राचार्य ने कभी भी ब्रेल लिपि या फिर अन्य किसी साधन का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए नहीं किया।
उनकी स्मरण शक्ति इतनी तीव्र और विलक्षण बताई जाती है कि उन्होंने पांच वर्ष की आयु तक संपूर्ण भगवद्गीता संस्कृत सहित कंठस्थ कर ली थी। आठ वर्ष की आयु तक उन्होंने संत तुलसीदास रचित सम्पूर्ण रामचरितमानस (लगभग 10,800 छंद) याद कर लिया था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके दादा पंडित सूर्यबली मिश्र ने दी थी। आगे चलकर उन्होंने वेद, उपनिषद, भागवत पुराण, संस्कृत व्याकरण तथा संत तुलसीदास के सभी ग्रंथों को भी कंठस्थ किया। उनका 24 जून 1961 को निर्जला एकादशी पर उपनयन संस्कार हुआ था, जिसमें उन्हें गायत्री मंत्र तथा अयोध्या के पंडित ईश्वर दास महाराज से श्रीराम मंत्र की दीक्षा मिली थी।
कई संस्थानों की रामभद्राचार्य ने की है स्थापना
उन्होंने विकलांग जनों हेतु उल्लेखनीय कार्य किए हैं। जैसे कि चित्रकूट स्थित तुलसी स्कूल फॉर द ब्लाइंड (1996), जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय (2001), जो विश्व का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जहां केवल दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिलती है। वह इस विश्वविद्यालय के आजीवन कुलपति हैं। उन्हें साहित्य क्षेत्र में असाधारण योगदान हेतु प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।