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शिवमहापुराण की कथा के दो ही परख सूत्र हैं आस्था और भक्ति- पंडित प्रदीप मिश्रा

शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी रखी लाखों भक्तों की भीड़

भिलाई। भिलाई की पावन धरा पर बोल बम समिति के तत्वावधान में सावन के पावन अवसर पर ​शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। सिहोर वाले महाराज पं प्रदीप मिश्रा के श्रीमुख से कथा का दूसरा दिन आयोजन हुआ। दूसरे दिन भी लाखों की संख्या में भीड़ रही। जयंती स्टेडियम पूरी तरह से भर गया था। कथा सूनने के लिए आज दुर्ग सांसद विजय बघेल जी की पत्नी रजनी बघेल जी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष व विधायक वक्रिम उसेंडी, दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव सह परिवार पहुंचे। इनके अलावा प्रदेश भर से कई नेता, अधिकारी शामिल हुए। 

पांच-पांच पंडाल पूरा भरा हुआ था। इसके बाद खाली मैदान में भी लोग बैठे थे। पं प्रदीप मिश्रा जी ने कथा में कहा कि अपने घर के बड़े बुजुर्ग माता पिता को प्रणाम कर लो शिव जी की कृपा है हो जाएगी। मां पार्वती ने एक दिन शिवजी से पूछा आप दुनिया के लोगों धन संपति, वैभव, गाड़ी बंगला दौलत सब दे देते हो, लेकिन भक्ति क्यों नहीं देते। इस पर शिवजी कहते हैं अगर मैने लोगों को भक्ति दे दी और यदि उसने भक्ति सिद्ध कर लिया तो मुझे दौड़ दौड़ कर उसे सब कुछ देने जाना पड़ेगा।

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शिवजी कहते हैं कि मैं मनुष्य को सब कुछ दे देता हूं लेकिन भक्ति बहुत सोच समझकर देता हुं। लोग पूछते है शिवमहापुराण कथा क्या देती है। दो चीजें देती है पहला विश्वाश, दूसरा भक्ति। वह आपको मंदिर जाने वह सेवा करने  भक्ति करने के लिए प्रेरित करती है। भगवान शिव की कथा कहती है भक्ति और विश्वास के बल पर ही मनवांछित फल देने के लिए देवाधिदेव हमारे पास दौड़ कर आते हैं। विश्वास और भक्ति ही शिवमहापुराण के दो प्रमुख सूत्र हैं। शिवमहापुराण में वर्णन में वायव संहिता के अंतर्गत आता है कि सावन की शिवरात्रि में व्रत रखने वाले किसी भी स्त्री, पुरुष का केवल मुख दर्शन से पुण्य प्राप्त हो जाता है।

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पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कोई भी कथा होती है तो उसका अनाउंसमेंट होता है, क्योंकि कथा स्थल पर जितने ज्यादा से ज्यादा भक्त कथा सुनने आयेंगे और भगवान का मंत्र जाप, कीर्तन नाम जाप करेंगे, उनके पुण्य का एक अंश यजमान को भी मिलता है। दया सिंह का सौभाग्य है, इतने सारे लोग मंत्र जाप करेंगे तो आपको पुण्य मिलेगा। पंडित मिश्रा  ने कहा कि यजमान का पुण्य भी बटता है। जो लोग कथा सुनने या फिर शिव जी के मंदिर तक नहीं जा पाते, उनका भी कल्याण हो जाता है। पंडित मिश्र ने कहा कि सावन हो या शिवरात्रि, इस दिन व्रत करने वाले के चेहरे का भी दर्शन कर लिया जाए तो पुण्य मिलता है। श्री शिवाय नमस्तुंभ्यं बोलने वाले के केवल मुख का दर्शन करने से यज्ञ का फल मिल जाता है।

उसका प्रत्युत्तर स्वयं भोलेनाथ देते
 शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवजी की महिमा और भक्ति का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कलयुग में जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा। यदि कोई किसी कि निंदा करता हैं, किसी के लिए बुरा सोचता हैं, दूसरों पर कीचड़ उछलता है, तो एक दिन उसके साथ भी यही सब होगा। उसके किए कर्म वापस जरूर लौटकर आएंगे। पंडित मिश्र ने स्पष्ट कहा कि शिवभक्त की आप कितनी भी निंदा कर लो, उसके साथ बुरा व्यवहार कर लो, वह हमेशा मौन रहता, पलटकर जवाब नहीं देता, क्योंकि उसका प्रत्युत्तर स्वयं भोलेनाथ देते हैं। शिवजी सब कुछ सहन कर सकते हैं, लेकिन अपने भक्त की निंदा, उसका अहित कभी नहीं सकते। इसलिए शिवभक्त के साथ बुरा करने वालों को भोले बाबा दंड जरूर देते हैं।

भक्तों ने पत्र में बाबा की महिमा बताई
बेरला बेमेतरा के सोमनाथ साहू ने पत्र  में लिखा कि वह डॉक्टर बनना चाहता था। 10 वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान मैने मां से यही बात कही तो उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई बहुत मेहनत, कोचिंग के बारे में कहा। मैने पंडित मिश्र जी कि परिश्रम करने वाली बात गांठ बांध ली थी। मां से घर पर ही रहकर तैयारी करने की बात कही। रोज मंदिर जाकर बाबा को जल चढ़ता। बाबा की सेवा की। आज बिना कोचिंग किए बेटे ने नीट की परीक्षा पास कर ली और बिलासपुर में आगे की पढ़ाई कर रहा है। इसी तरह चरोदा भिलाई की रिंकू देवी ने पत्र में लिखा कि छोटे भाई प्रदीप ठाकुर की सरकारी नौकरी के लिए बाबा से अर्जी की थी। उसने प्रतिदिन मंदिर जाकर जल चढ़ाया, पशुपति व्रत किया। आज भाई की शिक्षा विभाग में नौकरी लग गई है। ये भोले बाबा की दया और कृपा है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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