Blog

छत्तीसगढ़ में पहली बार बनी आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की मूर्ति, भिलाई के मूर्तिकार अंकुश ने किया निर्माण

भिलाई। सुप्रसिद्ध मूर्तिकार डा. अंकुश देवांगन ने आयुर्वेद विशारद महर्षि चरक की नयनाभिराम प्रतिमा का निर्माण किया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य में महर्षि चरक की प्रथम मूर्ति है। जिसके लिए प्रख्यात मॉडर्न आर्ट चित्रकार डीएस विद्यार्थी, बीएलसोनी, विजय शर्मा, मोहन बराल, समाजसेवी विमान भट्टाचार्य, पी.वाल्सन, प्रवीण कालमेघ, मीना देवांगन और साहित्यकार मेनका वर्मा ने उन्हें बधाई दी है।

portal add

बता दें कि मूर्तिकार अंकुश देवांगन भारतीय मूर्तिकला जगत में हिन्दुस्तान के प्राचीनतम् और महानतम् विभूतियों की हूबहू प्रतिमा बनाने के लिए जाने जाते हैं। इसी कड़ी में महर्षि चरक की उन्होंने आदमकद प्रतिमा बनाई है। इससे पहले भी उन्होंने आर्यभट्ट, चाणक्य और मदकूद्वीप में मांडूक्य ऋषि जैसे महान संत महात्माओं की प्रतिमाएं बनाई है। वहीं भिलाई मे सिविक सेंटर का कृष्ण अर्जुन रथ, सेल परिवार चौक, रूआबाधा का पंथी चौक, भिलाई निवास का नटराज, सेक्टर 1 का श्रमवीर चौक, बोरिया गेट का प्रधानमंत्री ट्राफी चौक, सुनीति उद्यान की एथिक्स मूर्तियां उन्होंने ही बनाई है।

office boy girl

इसी तरह से दल्ली राजहरा में छः मंजिली इमारत जितना विशाल कृष्ण-अर्जुन-भीष्म पितामह लौहरथ, रायपुर में पुरखौती मुक्तागन, सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा, राजभवन भोपाल, दुर्गापुर स्टील प्लांट पश्चिम बंगाल में अनेक कलाकृतियों का निर्माण किया है। उनकी कलासाधना को देखते हुए भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली ने उन्हें स्वस्फूर्त ललित कला अकादमी का सदस्य बनाया है जहां वे छत्तीसगढ़ से प्रथम बोर्ड मेम्बर बने हैं। वर्तमान में वे भिलाई इस्पात संयंत्र में सेवारत हैं तथा निरंतर सृजन कार्यों में लगे रहते हैं।

book now

बहरहाल महर्षि चरक की मूर्ति से संबंधित तथ्यों के बारे में बताते चलें कि वे आधुनिक आयुर्वेद के जनक हैं। उन्होंने ही सर्वप्रथम शरीर के महत्वपूर्ण व्याधियों वात, पीत, कफ की खोज की थी। वे आयुर्वेद के आधार ग्रंथ चरक संहिता के रचयिता थे। जिसमें उन्होंने सोना, चांदी, लोहा, पारा जैसे तत्वों से रोगों को दूर करने का अचूक सिद्धांत खोजा था। ईसा से भी 200 साल पहले उन्होंने आयुर्वेद के गूढ़ रहस्यों को प्रतिपादित किया जो आज भी प्रासंगिक है। भारत में तत्कालीन दुनिया के श्रेष्ठ विश्वविद्यालय तक्षशिला से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की तथा कुषाण राज्य के राजवैद्य बने। इस दौरान उन्होंने रोगों के उपचार हेतु ताजीवन शोध कार्यों को अंजाम दिया। आठवीं शताब्दी में उनके लिखे अद्वितीय ग्रंथ चरक संहिता का अरबी भाषा में अनुवाद हुआ। तत्पश्चात् पूरी दुनिया में यह भारतीय चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रसिद्ध हुई। आज भी ऐलोपैथी के दुष्परिणामों से हताश रोगी आयुर्वेद की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं।

The post छत्तीसगढ़ में पहली बार बनी आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की मूर्ति, भिलाई के मूर्तिकार अंकुश ने किया निर्माण appeared first on ShreeKanchanpath.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button