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टिटहरी ने दिए चार अंडे, प्राणी शास्त्र के प्रोफेसर का दावा, होगी अच्छी बारिश

बैतूल। मानसून कैसा होगा, इसका अनुमान वैज्ञानिक माध्यमों से तो लगाया ही जाता है लेकिन परंपरागत रूप से टिटहरी के द्वारा दिए जाने वाले अंडों की संख्या से भी किसान इसका सटीक अनुमान लगा लेते हैं। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में प्राणी शास्त्र के प्रोफेसर ने इस संबंध में दो शोध पत्र भी प्रस्तुत किए हैं। बैतूल के जयवंती हाक्सर शासकीय महाविद्यालय की छत पर टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं। जब प्रोफेसर ने अंडे देखे तो उनके द्वारा इस बार अच्छी वर्षा होने का दावा किया जा रहा है।चार अप्रैल 2024 गुरुवार को प्रोफेसर डा. सुखदेव डोंगरे ने टिटहरी के चार अंडों का अवलोकन किया।उन्होंने बताया कि कालेज भवन की छत पर टिटहरी अंडों के पास दिखी, लेकिन हमारी हलचल से अंडों से दूर हो गई। टिटहरी ने चार अंडे भूरे रंग के काले धब्बे वाले दिए हैं। नर-मादा पक्षी लगातार अंडों को सेने का कार्य कर रहे हैं। डा. सुखदेव डोंगरे का शोध अध्ययन बताता है कि इस वर्ष 2024 में टिटहरी (सेण्ड पाइपर) ने चार अण्डे वाणिज्य भवन की छत पर दिए हैं । आर.एम. नाईक, पी.वी. जार्ज, बी धुर्वे (1961) मुंबई, मुनकर तेज (1985) पूना, एस श्रीधर करबंकी (1991) केसी टसंग व वांग लुअन केंग (2007) के अनुसार जिस वर्ष टिटहरी चार अंडे देती है उस वर्ष बारिश अच्छी होती है। टिटहरी पक्षी अक्सर जोड़े में मानसून के पहले दिखाई देते हैं। इनका प्रजनन का समय मार्च से अगस्त तक होता है। ये पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान, प्रदेश तथा दूसरे देशों में माइग्रेशन एवं प्रजनन करते हैं।कई देशों में लोग इनके अंडों का उपयोग अस्थमा एवं टाइफाइड के लिए करते हैं। इन पक्षियों को लोग त्वचा एवं वात की बीमारी दूर करने के लिए भी करते हैं। यह पक्षी 35 से.मी. लम्बे होते हैं इनके पंख एवं चोंच हल्के भूरे रंग की होती है, लेकिन सिर छाती और गर्दन का अग्रभाग काला होता है, बगल में सफेद रंग होता है, लाल आंख होती है। पैर लम्बे और पीले रंग के होते हैं, जिसके कारण तेज दौड़ते हैं। प्राय: टिटहरी टर्की, इराक, अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, बर्मा, श्रीलंका में पाए जाते हैं। पक्षी नर व मादा समान होते हैं, लेकिन नर के पंख माता की तुलना में 5 प्रतिशत लम्बे हाते हैं, पानी के नजदीक सूखी जगह पर निवास करते हैं। इनकी उड़ान धीमी होती है, लेकिन चाल बहुत तेज होती है।

प्रजनन काल मुख्यत: मार्च से अगस्त तक नर टिटहरी पंख फैलाकर चोंच उठाकर मादा पक्षी के आस-पास घूमता है। बहुत सी मादा पक्षी होती, लेकिन एक नर एक मादा पक्षी के नजदीक जाता है, मादा पक्षी सूखी जगह पर अण्डे देती है। अण्डे भूरे रंग के जिस पर काले धब्बे पाये जतो हैं। अण्डे 30 से 42 ग्राम के होते हैं। पक्षी अपना घोसला पत्थरों के बीच बनाते हैं अण्डे सेने के बाद 28 से 30 दिनों में चूजे बाहर निकल जाते हैं।

इन पक्षियों में प्रजनन 40 प्रतिशत सफल होता है। अण्डे की मृत्यु 43 प्रतिशत होती है। इनके अण्डे मुंगुश,कौवे एवं चील खाते हैं। बेहद चौकन्ना पक्षी है, अपने पास आने वाले जीव जन्तु मनुष्य को देखकर तीखा शोर मचाता है। अण्डों से चूजे निकलते ही पेरेन्ट पक्षी द्वारा देखरेख एवं भोजन की व्यवस्था करते हैं ये पक्षी कापुलेश के बाद नहाते हैं। ग्राउण्ड में बैठकर आराम करते हैं। कभी कभी एक पैर पर आराम करते हैं। इन्सेक्ट, स्नेल के अलावा छोटे अकशेरू की जन्तु को खाते हैं, इसके अलावा अनाज भी खाते हैं।

मौसम वैज्ञानिक नहीं मानते, लेकिन किसानों के लिए बारिश का यही आधार है

मौसम वैज्ञानिक टिटहरी के चार अण्डे देने पर अच्छी बारिश होने की बात से सहमत नहीं हैं, परंतु राजस्थान, बुंदेलखण्ड के किसान इस धारणा को मान्यता प्रदान करते हैं। प्राणिशास्त्र के वैज्ञानिक, प्रोफेसर एवं शोधकर्ता टिटहरी के चार अण्डे देने पर यह मानते हैं कि बारिश बहुत अच्छी होगी। इनका यह भी मानना है कि मौसम के परिवर्तन का असर पक्षियों के शरीर पर पड़ता है। उसी आधार पर पक्षी माइग्रेश एवं प्रजनन करते हैं और अण्डे देते हैं। पक्षियों के व्यवहार में बदलाव मौसम परिवर्तन के कारण आता है। इस आधार पर कह सकते हैं टिटहरी ने अप्रैल 2024 में चार अण्डे उनके स्थान छत पर ऊंची जगह पर दिए हैं इसलिए 2024 में अच्छी बारिश होने की पूरी उम्मीद एवं संभावना है।

सटीक साबित हुए हैं दो शोधपत्र

शोधकर्ता डा. सुखदेव डोंगरे ने इसके पहले दो शोधपत्र 2012 एवं 2022 में टिटहरी के अण्डों पर प्रस्तुत किए थे। जिसमें 2012 में 61.25 बारिश हुई थी एवं 2022 में  63.50 इंच बारिश दर्ज की गई थी। टिटहरी को मानसून का पूर्वाभाष होता है। टिटहरी पक्षी प्रकृति के मौममी इशारों को समझकर नीचे अथवा ऊंचे स्थान पर अण्डे देती हैं। कभी 2 कभी 3 कभी 4 अण्डे देती हैं। अत: शोधकर्ता के अनुसार 2024 में बारिश अच्छी होने की पूरी उम्मीद एवं संभावनाएं जताई गई हैं। यह शोधपत्र सत्य साबित हुआ तो टिटहरी के चार अण्डे देने पर बारिश अच्छी होगी यह अनुमान वैज्ञानिक आधार भी माना जा सकता है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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