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समय रहते नींबू के पौधे में डाल दें पीले दाने, टोकरी भर-भरकर मिलेंगे नींबू, गर्मियों में नहीं खरीदना पड़ेगा महंगा

नींबू का पौधा घर में लगाने के साथ ही उसकी देखभाल करने के बारे में पता होना जरूरी होता है। इस पौधे को लगाना बहुत आसान होता है लेकिन मेंटेन करना और फिर फलों का इंतजार करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है। अक्सर लोग, इस बात से ही परेशान रहते हैं कि उनकी नींबू के पौधे में फल नहीं लग रहे हैं। खासतौर पर लोगों को गर्मियों में नींबू की जरूरत ज्यादा रहती है, क्योंकि इस मौसम में डिमांड बढ़ने पर नींबू महंगा बिकता है।वैसे, किसी भी फल वाले पौधे को हमेशा ज्यादा पोषण की जरूरत होगी। मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम भरपूर मात्रा में नहीं होगा तो फल लगने में देरी जरूर होगी। इस बीच माली ने नींबू में ज्यादा फल लाने के लिए पीले दाने वाली खाद के बारे में बताया है, जो आपको समय रहते डाल देना चाहिए। ताकि गर्मियों में टोकरी भर-भरकर नींबू मिलें।नींबू के पौधे में फल नहीं आने का सबसे बड़ा कारण पोषक तत्व यानी न्यूट्रीशियन की कमी होती है।
2.दूसरा कारण धूप की कमी होती है, अपने गमले में छाव में रखा है तो शिफ्ट करके ज्यादा धूप वाली जगह पर रखें।
3. गमले का साइज 18 इंज से ज्यादा होना चाहिए, इससे कम साइज होने पर पौधे पर नींबू नहीं लग पाते हैं।
4. मिट्टी बहुत सूखी नहीं होना चाहिए, उसमें सिर्फ नमी रहे गिली मिट्टी भी जड़ को गलाने का काम भी करती है।
5. फूल लगने पर फल आते समय मिट्टी की कढ़ाई करना जरूरी होता है, ऐसा नहीं करने पर भी समस्या होती है

छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर पानी में डाल दीजिए। इसे अच्छी तरह से मिक्स कर दीजिए, ताकि सभी न्यूट्रीशियन पानी में मिक्स हो जाए। अब आपको इसे 2 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ देना है। तय समय बाद आप इस पानी को अलग कर लीजिए। जिससे लीक्विड फर्टीलाइजर बन जाएगा।

दरअसल इन पीले दानों को पोटाश कहते हैं, जो एक फर्टीलाइजर है। माली ने बायो पोटाश इस्तेमाल करने की सलाह दी है। जो, आपको ऑनलाइन या किसी भी नर्सरी में आराम से मिल जाएगा। यह फलदार पौधों के लिए बहुत काम का होता है, 18 इंच के ग्रो बैग के लिए आप एक चम्मच पोटाश ले सकते हैं। मिट्टी की गुड़ाई के बाद आपको इन दानों को उसपर बिखेर देना है, इसके बाद गोबर की लिक्विड खाद डालना है। जल्दी रिजल्ट पाने के लिए इस प्रोसेस को डेढ़ महीने में एक बार दोहरा सकते हैं।

 

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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