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दूल्हे की यहां डबल मौज! एक शादी बारात के पहले..दूसरी बारात के बाद, लोग खुशी-खुशी निभाते हैं रस्म

देवघर: हिंदू धर्म में विवाह के दौरान विभिन्न रीति-रिवाजों को निभाया जाता है. समाज के अनुसार रस्में भी बदलती रहती हैं. अलग-अलग स्थानों पर, अलग-अलग परंपराएं विवाह को खास बनाती हैं. कुछ ऐसा ही झारखंड में भी विवाह के दौरान देखा जाता है. यहां लड़के की बारात घर से निकलने से पहले उसकी शादी किसी और से कराई जाती है. चौंकिए मत, ये रस्म है, जो किसी खास कारण से यहां कुछ क्षेत्रों में निभाई जाती है. जानिए…बताया कि जब कोई भी मनुष्य पैदा होता है तब ग्रह, नक्षत्र और समय को ध्यान में रखते हुए उसकी कुंडली बनाई जाती है. उस कुंडली में कई दोष भी होते हैं, जिसका असर विवाह पर पड़ता है. विवाह में कोई बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए कुछ रस्में होती आ रही हैं. इसी में एक रस्म ऐसी भी होती है, जिसमें लड़के की बारात निकलने से पहले पेड़ से उसकी शादी कराई जाती है.इसलिए होती है ये रस्म
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शादी के दौरान बारात निकलने से पहले दूल्हे की शादी आम या महुआ के पेड़ से कराई जाती है. यह रस्म उन दूल्हों के लिए है, जिनकी कुंडली में वैवाहिक दोष होता है, जिससे वैवाहिक जीवन में बाधा उत्पन्न हो सकती है या रास्ते में कोई अपशगुन हो सकता है. ऐसे में ग्रह-दोष को समाप्त करने के लिए और बाधा को ख़त्म करने के लिए दूल्हे का पहले आम के पेड़ से विवाह कराया जाता है. मान्यता है कि यह विवाह होते ही सब दोष कट जाते हैं. फिर दूल्हा अपनी दुल्हन से विवाह करता है, जिससे जीवन सुखमय होता है.क्या है आम या महुवा विवाह
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, हिंदू धर्म में वनस्पति पूजा का महत्व बताया गया है. सभी जगह तो नहीं लेकिन, कुछ क्षेत्रों में ऐसा माना जाता है कि बारात जाने से पहले दूल्हे का आम या महुवा विवाह कराने से सभी अमंगलों का नाश होता है. बारात या विवाह में बाधा नहीं आती और वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है. आम विवाह में आम के वृक्ष की पूजा की जाती है. उसमें पुष्प, फल, गंध, चंदन, सिंदूर आदि चढ़ाया जाता है. इसे ही आम विवाह कहा गया है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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