एक पिता को अपने बेटे की परेशानी नहीं देखी गई। बेटे को स्कूल जाने के लिए हर दिन 40 किमी दूर का सफर तय करना पड़ता था। वह हर रोज परेशान होता था। कई बार उसका स्कूल छूट जाता था। असल में गांव से स्कूल जाने के लिए कोई डायरेक्ट साधन नहीं था। पिता को अपने बेटे की तकलीफ नहीं देखी गई। इसलिए उन्होंने इस परेशानी को दूर करने के लिए एक जुगाड़ लगाई। पिता असल में वेल्डर का काम करते थे। एक दिन उनका दिमाग चला और उन्होंने अपनी साइकिल को ई साइकिल का रूप दे दिया, जो ऑटोमैटिक चलती है। इस तरह उनके बेटे की परेशाानी दूर हो गई। इस पिता की अब पूरे गांव में चर्चा हो रही है।
दरअसल, आजकल हर तरफ ई-वाहनों का चलन है। हालांकि यह कहानी बेहद खास है क्योंकि एक पिता ने बड़े प्यार से अपने बेटे के लिए ई साइकिल बनाई है। इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हैरान करने वाली यह खबरछत्तीसगढ़ के बालोद जिले की है। जहां एक वेल्डर अपने 14 साल के बेटे की परेशानी को देखते हुए अपनी कोशिश से उनकी साइकिल को अपने आप चलने वाले वाहन का रूप दे दिया है।
बेटे को तय करना पड़ता था 40 किलोमीटर का सफर
दरअसल, बेटे को स्कूल आने-जाने के लिए 40 किलोमीटर का सफर रोजना तय करना पड़ता था। स्कूल दूर होने की वजह से बेटा रोज काफी कुछ झेलता था। पिता का कहना है, मैं बेटे को रोजाना परेशानी झेलते हुए नहीं देख सका और कुछ जुगाड़ लगाकर साइकिल को ‘ई’ लुक दे दिया। साइकिल में एक सेल्फ-स्टार्ट बटन, हॉर्न और हेडलाइट है। अब उनका बेटा हवा की तरह आगे बढ़ता है तो लोग देखकर हैरान हो जाते हैं।”
संतोष साहू का कहना है कि वे बड़ी तरकीब से जिंदगी जीते हैं। उनके पास जिंदगी चलाने भर का ही पैसा है। उनका बेटा किशन 8वीं में पढ़ता है। उसे स्कूल बंक करना पसंद नहीं है। हालांकि स्कूल जाने के लिए उसे हमेशा परेशान होता पड़ता था। बेटे का कहना है कि मैं एक घंटे पहले घर से निकल जाता था। मैं काफी पहले स्कूल पहुंच जाता था। कई बार मेरी बस छूट जाती थी। कई बार मुझे काफी दिक्कत होती थी।
पिता ने कहा कि हर रोज 40 किमी साइकिल चलाना 14 साल के बच्चे के लिए मुश्किल है। काफी समय लगता है औऱ मेहनत भी खूब लगती है। बच्चा थक जाएगा तो पढ़ेगा कैसे? स्कूल का समय भी साल में तीन बार बदल जाता है। मैंने मन ही मन ठाना कि मुझे कुछ करना होगा, मैं मेरे बच्चे को परेशान नहीं देख सकता।
एक बार चार्ज करने पर 80 किलोमीटर तक चलती है साइकिल’
पिता का कहना है, “मैंने साइकिल के पार्ट्स, बैटरी, स्विच और तारों का इस्तेमाल कर ‘जुगाड़ की साइकिल’ बनाई। एक बार चार्ज करने पर यह साइिकल 80 किमी चल सकती है, जिसमें 6-8 घंटे लगते हैं। एक बार चार्ज करने पर किशन इसे दो दिनों तक इस्तेमाल करता है। यह उसके लिए बहुत बड़ी राहत है!” उन्होंने आगे कहा, इस सब पर 30,000 रुपये लगे और यह 3 दिन में तैयार हो गया। इसमें बैटरी और सेल्फ स्टार्टर भी लगाया है। उनका कहना है कि गांव के लोग उनकी तारीफ करते हैं। उनका कहना है कि तीन लोगों ने उन्हें ऐसी साइकिल बनाने का ऑर्डर भी दिया है। वे कहते हैं कि मैंने वही किया जो हर पिता करता है।