छत्तीसगढ़ (chhattisgrah) के बालोद जिले के डौंडीलोहारा (Dondilohara) ब्लॉक के खामभाट गांव में पितृ भोज खाने के बाद एक साथ 84 लोगों की तबीयत बिगड़ गई, जिनमें 22 बच्चे भी शामिल हैं. ग्रामीणों को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई. इनमें से एक 36 वर्षीय शख्स और 12 वर्षीय बच्चे की हालत गंभीर होने पर उन्हें राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज (Rajnandgaon Medical College) रेफर किया गया. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों ने भोज के बाद गांव के खेत के पास के बोर का पानी पिया था, जिसके बाद उन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत होने लगी. कुछ लोग दूषित भोजन को भी बीमारी की वजह बता रहे हैं. हालांकि, बीमारी का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.इस घटना की जानकारी मिलते ही सोमवार को मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. महेश सूर्यवंशी प्रभावित गांव पहुंचे और अस्थायी चिकित्सा शिविर का जायजा लिया. इस दौरान डौंडीलोहारा बीएमओ और दूसरे डॉक्टर और नर्सें भी मौके पर मौजूद थीं.
विधायक ने किया मुआयना, दिए सख्त निर्देश
घटना की सूचना मिलते ही क्षेत्रीय विधायक कुंवर सिंह निषाद भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने मरीजों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना और दवाइयों की उपलब्धता की जानकारी ली. विधायक ने स्वास्थ्य विभाग को पर्याप्त मात्रा में दवाइयां रखने और बीमार ग्रामीणों का बेहतर इलाज करने के निर्देश दिए.
स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था पर भड़के विधायक
विधायक ने स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था पर नाराजगी जताई, क्योंकि मरीजों को जमीन पर हरे मैट बिछाकर इलाज किया जा रहा था. उन्होंने मौके पर मौजूद CMHO से मरीजों को उचित इलाज देने की बात कही और गांव के बोर का निरीक्षण कर अधिकारियों को पानी की जांच के निर्देश दिए. जांच पूरी होने तक बोर का पानी न पीने की सलाह भी दी गई.
लगाया गया अस्थायी चिकित्सा शिविर
खामभाट में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने के बाद CMHO डॉ. महेश सूर्यवंशी ने बताया कि सभी मरीजों की हालत सामान्य है और दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. तत्कालीन व्यवस्था के लिए गांव के स्कूल में ही एक अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाया गया है, जहां मरीजों का इलाज जारी है. उपचार के बाद उन्हें पिनकापार स्वास्थ्य केंद्र भेजा जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर
इलाज के दौरान स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई . एक महिला और उसके बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर पहले देवरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन वहां उचित इलाज नहीं मिला. फिर उन्हें डौंडीलोहारा अस्पताल ले जाया गया, जहां भी सुधार नहीं हुआ. आखिरकार, उन्हें राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. जहां, फिलहाल दोनों की हालत स्थिर बताई जा रही है.
यह घटना स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों और ग्रामीण इलाकों में आपात स्थितियों के प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है. मामले की जांच जारी है, ताकि बीमारी के कारणों का पता लगाकर भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव किया जा सके.