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13 झरने…लोहे की सीढ़ियां…इस शिवलिंग के दर्शन के लिए करनी पड़ती तपस्या! रावण ने यहीं अर्पित किए थे 10 सिर

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की भगवानपुरा तहसील में स्थित सिरवेल गांव, अपनी प्राचीन और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. यहां विराजमान शिवलिंग का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है, जो सतपुड़ा पर्वत की ऊंची चोटी पर एक विशाल गुफा में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि रावण ने यहीं तपस्या कर भगवान शिव को अपने दस सिर अर्पित किए थे, जिससे इस स्थान का नाम “सिरवेल” पड़ा.

सिरवेल महादेव तक पहुंचने के लिए भक्तों को एक अद्वितीय और कठिन यात्रा करनी पड़ती है. यह यात्रा घुमावदार पहाड़ों और 13 झरनों को पार करने के बाद एक लोहे की सीढ़ी के माध्यम से पूरी होती है. इस दुर्गम मार्ग पर चलना आसान नहीं है, लेकिन बड़ी संख्या में भक्तगण कठिनाइयों के बावजूद इस पवित्र स्थल तक पहुंचते हैं.

मंदिर की विशेषताएं
गुफा के भीतर स्थित शिवलिंग का प्राकृतिक रूप से प्रतिदिन बूंद-बूंद पानी से अभिषेक होता रहता है. मंदिर में माता पार्वती, नंदी और हनुमानजी की मूर्तियां स्थापित हैं. यहां एक गहरा देव कुंड भी है, जो इस स्थान की पवित्रता को और बढ़ाता है.दर्शन मात्र से रोगों का होता है नाश
सिरवेल महादेव की पहाड़ी पर स्थित श्री उदासीन नया अखाड़ा के महंत संतोष दास महाराज वर्षों से यहां सेवा और तपस्या कर रहे हैं. उन्होंने खड़ेश्वरी तपस्या के रूप में लंबे समय से पैरों पर खड़े होकर भगवान शिव की उपासना की है. उनका मानना है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से दुख और रोगों का नाश हो जाता है.

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
सतपुड़ा के घने जंगलों में स्थित सिरवेल महादेव का प्राकृतिक सौंदर्य विशेषकर बरसात के दिनों में अद्वितीय होता है. हरियाली की चादर ओढ़े इस स्थान पर मध्यप्रदेश सहित महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और अन्य राज्यों से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन करने आते हैं. श्रावण मास में यहां अखंड जाप, महा आरती, और अभिषेक जैसे अनुष्ठान होते हैं.

बनेगा सिरवेल महादेव लोक
मध्यप्रदेश सरकार ने सिरवेल महादेव के इस प्राचीन स्थल को संरक्षित और विकसित करने के लिए इसे महाकाल लोक की तरह सिरवेल महादेव लोक बनाने की योजना बनाई है. प्रारंभिक चरण में 50 लाख रुपए की राशि से निर्माण कार्य के लिए प्रशासकीय स्वीकृति भी मिल चुकी है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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