छत्तीसगढ़

तहसीलदार सस्पेंड: आयुक्त न्यायालय से खारिज होने के बाद भी भूमि का 5 दिनों में किया नामांतरण…

दुर्ग। आयुक्त न्यायालय से प्रकरण खारिज होने के बाद भी तहसीलदार ने बिक्री आयोग की भूमि का 5 दिनों में ही नामांतरण कर दिया। संभाग कमिश्नर ने नियम विरुद्ध बिक्री अयोग्य की जमीन का नामांतरण आदेश पारित करने वाले तहसीलदार प्रफुल्ल कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया है। तहसीलदार प्रदीप गुप्ता पर आरोप है कि सांठ–गांठ कर बिक्री के अयोग्य जमीन का नामांतरण किया गया। संभाग आयुक्त सत्य नारायण राठौर ने शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर की अनुमति के बिना विक्रय किए जाने और पूर्व में नामांतरण निरस्त करने के साथ ही अपीलीय न्यायालयों द्वारा नामांतरण आवेदन खारिज करने के बाद भी छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधानों के विपरीत उसी भूमि का नामांतरण आदेश पारित करने पर कार्रवाई करते हुए तहसीलदार प्रफुल्ल कुमार गुप्ता के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की है। उन्होंने इस कार्य को कर्तव्य निर्वहन में गंभीर लापरवाही करार देते हुए यह कार्रवाई की।

कलेक्टर की अनुमति नहीं

जमीन का नामांतरण का प्रकरण अतिरिक्त तहसीलदार के बाद एसडीएम और संभाग आयुक्त न्यायालय द्वारा अपील खारिज करने के बाद भी तहसीलदार प्रफुल्ल कुमार गुप्ता ने शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर के बिना अनुमति के विक्रय होने के बाद भी दूसरे पक्षकारों को सुने बिना ही महज 5 दिन में ही नामांतरण कर दिया। जबकि खसरा के कॉलम 12 में कैफियत में बिक्री अयोग्य स्पष्ट उल्लेखित है।

जवाब संतोषजनक नहीं

मामले की जांच में नियम विरूद्ध नामांतरण का मामला पाए जाने पर संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पक्ष रखने कहा गया था। इसके जवाब में तहसीलदार की ओर प्रतिउत्तर भी प्रस्तुत किया गया। जिसमें तहसीलदार का जवाब समाधान कारक नहीं पाया गया। इस पर संभाग आयुक्त ने शासन से प्राप्त भूमि का नामांतरण करने में प्रथम दृष्टया अनियमितता बरतना पाए जाने पर निलंबन आदेश जारी किया है। निलंबन अवधि में तहसीलदार का मुख्यालय मोहला– मानपुर–अंबागढ़ चौकी नियत किया गया है।

यह है मामला

मामला ग्राम बोडेगांव स्थित खसरा नंबर 717 की भूमि का है। 0.9200 हेक्टेयर भूमि का अवैध तरीके से नामांतरण करने के संबंध में 2 मई 2024 को संभाग आयुक्त को शिकायत मिली थी। शिकायत पर कलेक्टर से प्रतिवेदन प्राप्त किया गया था। प्रतिवेदन में बताया गया कि शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर के अनुमति के बिना विक्रय किया गया था। जिसके कारण अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा 9 नवंबर 2022 को नामांतरण को निरस्त कर दिया गया।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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